रतलाम में कहीं रैन बसेरों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, तो कहीं गंदगी जमा है. हालात इतने खराब हैं कि कई रेन बसेरों को तो साइकिल स्टैंड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. तो कहीं रेन बसेरों की जानकारी वाले बोर्ड ही नही हैं.
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चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: यह साल जाते-जाते ठंड का कहर बरपा रहा है, प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में ठंड से आम जनजीवन लगातार प्रभावित हो रहा है और रिकॅार्ड तोड़ सर्दी दर्ज की गई है. ऐसे में गरीबों और मुसाफिरों के लिए रेन बसेरे बड़ा सहरा होता हैं, लेकिन रातलाम में जी मीडिया ने रियलिटी चेक किया जिसके दौरान रेन बसेरों की हकीकत सामने आई है. जिससे सिस्टम की लाचारी साफ-साफ नजर आ रही है.
दरअसल, रतलाम में कहीं रैन बसेरों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, तो कहीं गंदगी जमा है. हालात इतने खराब हैं कि कई रेन बसेरों को तो साइकिल स्टैंड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. तो कहीं रेन बसेरों की जानकारी वाले बोर्ड ही नही हैं, जिसकी वजह से लोगों को इनकी जानकारी नही है और गरीब जनता इनका लाभ नही उठा पा रही है. ऐसे में बेसहारों के लिए खोले गए इन रैन बसरों को खुद सहारे की जरूरत है.
कड़ाके की ठंड ने ऐसा असर दिखाया कि देर शाम से ही लोग अलाव का सहारा लेने को मजबूर है, सुबह के समय तो लोगों को हाड़ कंपाने वाली ठंड से सामना करना पड़ रहा है. शीतलहर के चलते दिनभर लोग ठिठुर रहे हैं. रतलाम में अधिकतम तापमाम 22.6 और न्यूनतम तापमान 9.8 डिग्री दर्ज किया गया था, वहीं अब यह तापमान लुढकता हुआ. अधिकतम तापमान 23.0 और न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री तक जा पंहुंचा है. लोग देर शाम से अलाव जला कर रात गुजार रहे हैं, चौराहों पर रात में ऑटो चालक अलाव जलाकर मुसाफिरों का इंतजार करते दिखाई देते हैं, तो अस्पतालों में मरीजों के परिजन भी पूरी रात अलाव के सहारे गुजारने को मजबुर है.
बता दें कि रतलाम के बस स्टैंड पर स्थित रेन बसेरे की हालत यह कि यहां निगम की दुकानों में बना रेन बसेरा उपयोग की हालत में ही नही है, यहां कर्मचारी भी मौजूद है और 18 लोगों के लिए पालन व बिस्तर भी लेकिन इन पर लगे ताले काफी समय से ना खुलने के कारण बंद पड़े हैं. सिर्फ एक शटर खुला है जिसमे मात्र 2 ही लोग ठहर सकते है मगर इसमें भी गंदगी जमा है.
शहर के दूसरे रेन बसेरे में जब जी मीडिया ने पड़ताल की तो नगर निगम के पास ही एक सर्वसुविधायुक्त रेन बसेरा है, जहां पुरुष और महिलाओं के लिए रुकने की पूरी व्यवस्था है वहीं दोनो के लिए शौचालय भी हैं.करीब 20 से ज्यादा लोगों के लिए पलंग व बिस्तर भी है, लेकिन यहां केवल 3 ही लोग इसमे ठहरे नजर आए. दरअसल इस रेन बसेरे में पर्याप्त सुविधाएं तो हैं लेकिन यह रेन बसेरा गली के अंदर है और इसके लिए कोई बोर्ड नही होने के कारण लोगों को इसकी जानकारी नही है. ऐसे में सर्वसुविधा युक्त इस रेन बसेरे तक जरूरतमंद लोग पहुंच नही पा रहे , और सर्व सुविधा के बावजूद रेन बसेरा खाली पड़ा है, महिला के ठहरने वाले कक्ष का तो ताला ही बंद मिला.