अमिता ने किलिमंजारो की 5 हजार 895 मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ाई कर 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' का संदेश दिया. घर वापसी के बाद जैसे ही उन्होंने शहरवासियों का उत्साह देखा, वह खुद भी उत्साहित हो उठीं.
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जाजंगीरः पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया (Eastern Africa Country Tanjania) में स्थित किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro) पर्वत फतह करने वाली छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की अमिता श्रीवास (Amita Shriwas) की शुक्रवार को घर वापसी हुई. यहां जांजगीर-चांपा जिले (Janjgir Champa) के चांपा जंक्शन (Champa Junction) पर उतरते ही शहरवासियों ने उनका जबरदस्त स्वागत किया. किलिमंजारो पर्वत के बाद अब उन्होंने माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) फतह करने का लक्ष्य बनाया है.
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं अमिता
जांजगीर-चांपा जिले के चांपा नगर में रहने वाली अमिता श्रीवास का घर वार्ड नंबर 4 में है. पेशे से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अमिता ने किलिमंजारो की 5 हजार 895 मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ाई कर 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' का संदेश दिया. घर वापसी के बाद जैसे ही उन्होंने शहरवासियों का उत्साह देखा, वह खुद भी उत्साहित हुईं. मीडिया से चर्चा करते हुए वह भावुक भी हो उठीं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी थीं शुभकामनाएं
उनकी इस सफलता पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया हैंडल पर ट्वीट कर उन्हें शुभकामनाएं दी थीं.
छत्तीसगढ़ की बेटी व अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही अमिता श्रीवास ने अफ़्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमंजारो (5895 मीटर) को फतह किया है।
ऐसा करने वाली वो छत्तीसगढ़ मूल की पहली महिला हैं।
इस सफलता पर मैं उनको एवं उनके परिवार को बधाई देता हूँ।
हम सबको आप पर गर्व है pic.twitter.com/kodE3qEF99
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 9, 2021
5 रातों में चढ़ पाईं किलिमंजारो पर्वत
अमिता को किलिमंजारो पर्वत की 5 हजार 895 मीटर की ऊंचाई तक चढ़ने के लिए पांच रातों का समय लगा. इस दौरान उनके कंधे पर 25 किलो का बोझ रखा था, जिसे बेस कैंप तक ले जाने में ही उनकी चार रातें बीत गईं. 7 मार्च को रात 11.45 बजे उन्होंने चोटी पर चढ़ना शुरू किया और लगभग 8 घंटे की संघर्षपूर्ण यात्रा के बाद 8 मार्च सुबह 7.45 बजे सफर तय कर दिखाया.
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एवरेस्ट फतह के लिए सरकार से चाहिए मदद
किलिमंजारो की चोटी फतह करने वाली अमिता जिले के साथ ही प्रदेश की पहली महिला हैं. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि तंजानिया के किलिमंजारो चोटी तक चढ़ने के लिए उनेक आने-जाने और स्थानीय जरूरतों का खर्चा स्थानीय प्रशासन व विद्युत मंडल ने उठाया. उन्हीं के सहयोग से यह संभव हो पाया. अब वह माउंट एवरेस्ट फतह करना चाहती हैं, इसके लिए उन्हें सरकार से आर्थिक सहायता की उम्मीद है. तभी वे अपने सपने को जी पाएंगी.
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