दोनों विभागों के मर्ज होने के बाद मंत्री एक ही रहेंगे, जबकि इन विभागों में आयुक्त अलग-अलग नियुक्त किए जाएंगे.
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भोपाल: ''आत्मनिर्भर भारत'' योजना के तहत मध्यप्रदेश सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है. लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर सेवाएं मिल सकें इस लिए प्रदेश में अब स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को आपस में जोड़ कर एक ही विभाग बना दिया जाएगा. इस फैसले पर दोनों विभागों के मंत्रियों ने अपनी सहमति भी दे दी है. इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयरियां शुरू कर दी हैं.
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मंत्री एक, आयुक्त अलग अलग
जानकारी के मुताबिक विभागों के मर्ज होने के बाद मंत्री एक ही रहेंगे, जबकि इन विभागों में आयुक्त अलग-अलग नियुक्त किए जाएंगे. फिलहाल चिकित्सा शिक्षा विभाग विश्वास सारंग और स्वास्थ्य विभाग प्रभुराम चौधरी के पास हैं. बता दें, शिवराज सरकार कई बार सामूहिक रूप से यह ऐलान कर चुकी है कि उसका फोकस लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाना है. इसके लिए कई निर्णय लिए जा रहे हैं.
हर दूसरे दिन नई बैठकें
प्रदेश में बदलाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार कैबिनेट की बैठकों के साथ-साथ जनसभाएं भी कर रहे हैं. इसीका नतीजा है कि प्रदेश में हर दूसरे दिन नई बैठकों के साथ कई कार्रवाइयां की जा रही हैं. हाल ही में शिवराज सरकार ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पर मुहर लगाई है. प्रदेश में लगातार भू-माफियाओं और ड्रग डीलरों के खिलाफ भी शिवराज सरकार द्वारा कार्रवाई की जा रही है.
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शिक्षा स्वास्थ्य एक होने से ये होंगे लाभ
1. सभी स्वास्थ्यकर्मियों का वेतन चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में एक हो सकेगा.
2. भारत सरकार से मिलने वाली राशि का बेहतर उपयोग हो पाएगा. फिलहाल एक विभाग में राशि ज्यादा होने पर उपयोग ही नहीं हो पाती, जबकि दूसरे विभाग में बजट ही नहीं रहता है.
3. जो जांचें जिला अस्पतालों में नहीं हो पाएंगी उन्हें मेडिकल कॉलेज से कराया जा सकेगा.
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