पशु चिकित्सक के साथ पुलिस की एक टीम पचमढ़ी पहुंची और डॉग के पिता का डीएनए सैंपल लिया. अब चार महीने बाद डीएनए रिपोर्ट आ गई है.
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होशंगाबाद: अभी तक आपने डीएनए टेस्ट के जरिए इंसानों की पहचान करने की बात तो सुनी ही होगी लेकिन होशंगाबाद में एक ऐसा अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जिसमें डीएनए टेस्ट के जरिए एक डॉगी को अपने असली मालिक तक पहुंचाया गया. डीएनए टेस्ट से डॉग की पहचान का यह पहला मामला है. दरअसल डॉग पर दो लोगों ने अपना मालिकाना हक जताया था.
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गोल्डन सिलिकॉन सिटी के रहने वाले शादाब खान लैब्राडोर डॉग को अपना 'कोको' बता रहे थे. वहीं कृतिक शिवहरे लैब्राडोर डॉग को अपना 'टाइगर' बता रहे थे. फिर 4 महीने बाद डीएनए रिपोर्ट आने के बाद साबित हुआ कि लैब्राडोर डॉग कोको है, टाइगर नहीं और उसके असली मालिक शादाब खान हैं.
जानिए क्या था पूरा मामला
तीन महीने पहले गोल्डन सिलिकॉन सिटी में रहने वाले शादाब खान ने अपने लेब्राडोर डॉग (कोको) की गुमशुदगी की रिपोर्ट देहात थाने में दर्ज कराई थी. इसी बीच यह डॉग मालाखेड़ी निवासी कृतिक शिवहरे के पास मिला. कृतिक शिवहरे ने इसे अपना बता कर दावा प्रस्तुत किया था. पुलिस ने विवाद के निपटारे के लिए दोनों से डॉग का डीएनए टेस्ट करने की बात कही. दोनों ने सहमति दी, जिसके बाद पशु चिकित्सक ने डॉग का डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल लिए. शादाब खान ने डॉग के पिता का पचमढ़ी में होना बताया.
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पशु चिकित्सक के साथ पुलिस की एक टीम पचमढ़ी पहुंची और डॉग के पिता का डीएनए सैंपल लिया. अब चार महीने बाद डीएनए रिपोर्ट आ गई है. इसमें होशंगाबाद के लैब्राडोर का डीएनए सैंपल पचमढ़ी के लैब्राडोर से मैच कर गया है. यानी शादाब खान सही पाए गए हैं. डीएनए रिपोर्ट के आधार पर तय हुआ कि (लैब्राडोर डॉग) कोको है कृतिक शिवहरे का टाइगर नहीं. देहात थाना प्रभारी अनूप सिंह नैन ने बताया कि डीएनए रिपोर्ट के अनुसार फैसला शादाब खान के पक्ष में आया है. मामले में विधि संगत कार्रवाई करते हुए जल्द ही डॉग को उसके वास्तविक मालिक के सुपुर्द कर दिया जाएगा.
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