देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 के बीच पेश किया गया था. खास बात यह है कि 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन फिर इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा.
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भोपालः देश का आम बजट पेश होने से पहले आर्थिक सर्वे रिपोर्ट यानि इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) संसद के पटल पर रखा जाता है. इस बार भी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने से पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया. लेकिन लोगों के दिमाग में यह सवाल उठता है कि आखिर यह इकोनॉमिक सर्वे होता क्या है और इसे बजट से पहले ही पेश क्यों किया जाता है.
क्या होता इकोनॉमिक सर्वे
दरअसल, इकोनॉमिक सर्वे किसी लेखा-जोखा की तरह होता है. उदाहरण के लिए किसी मध्य वर्गीय भारतीय परिवार को ले लिया जाए. आम तौर मध्यम वर्गीय परिवार अपने घर के एक-एक सामान का हिसाब एक रजिस्टर में रखता है. साल के अंत में परिवार का मुखिया यह देखता है कि कितना खर्च हुआ और कितनी बचत हुई. उसी के आधार पर वह अगले साल के घर खर्च की तैयारी करता है, कि आने वाले साल में घर का खर्च किस तरह चलाना है. इकोनॉमिक सर्वे भी कुछ इसी तरह का होता है. जिसमें देश के पिछले एक साल के हिसाब-किताब के आधार पर अगले साल का बजट तैयार करने की रूपरेखा तय की जाती है.
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देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे एक साल में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. जिसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही. किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ. कुल मिलाकर आसान भाषा में यह कहा जा सकता है कि इकोनॉमिक सर्वे पिछले एक साल के अंदर देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करता है. फिर इसी इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर यह तय किया जाता है कि आने वाले साल में देश की अर्थव्यवस्था के अंदर किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं. खास बात यह है कि इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर सरकार को सुझाव भी दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें लागू करना है या नहीं करना, यह सरकार की जिम्मेदारी होती है. यही वजह है कि इकोनॉमिक सर्वे को बजट पेश होने के ठीक पहले संसद के पटल पर रखा जाता है.
Economic Survey से महत्वपूर्ण चीजों का लगता है पूर्वानुमान
इकोनॉमिक सर्वे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था का पूर्वानुमान लगाया ही जाता है, साथ ही यह भी अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले साल के आधार पर क्या महंगा होगा और क्या सस्ता हो सकता है. जैसे राजकोष, ब्रॉड प्रोस्पेक्ट, प्रोडक्ट, महंगाई दर के साथ-साथ अर्थव्यवस्था से जुड़ी देश की सभी आर्थिक गतिविधियों की जानकारी इकोनॉमिक सर्वे से मिल जाती है. जिससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में मंदी रहेगी या तेजी, फिर इसी के आधार पर आगे की प्रक्रिया होती है.
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कैसे तैयार होता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है. इस बार इकोनॉमिक सर्वे केवी सुब्रमण्यम और उनकी टीम ने तैयार किया है. जब इकोनॉमिक सर्वे तैयार हो जाता है तो फिर इन दस्तावेजों को वित्तमंत्री सदन में पेश करता है. इस बार का इकोनॉमिक सर्वे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया है.
पहली बार कब तैयार हुआ था इकोनॉमिक सर्वे
देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 के बीच पेश किया गया था. खास बात यह है कि 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन फिर इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा. हालांकि इस बार भी इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया है और इस बार इकोनॉमिक सर्वे बजट पेश होने से दो दिन पहले संसद के पटल पर रखा गया है.
पहली बार पेश हुआ डिजिटल इकोनॉमिक सर्वे
हालांकि इस बार इकोनॉमिक सर्वे का दस्तावेजों पर प्रकाशन नहीं किया गया है. इकोनॉमिक सर्वे को डिजिटल तरीके से पेश किया गया है. इसके दस्तावेजों को राज्यसभा और लोकसभा के सभी सांसदों को पीडीएफ के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है. इस बार बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा.
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