बांचा पहुंचे महामहिम राज्यपाल ने सरकारी योजनाओं को लेकर भी बड़ी बात कही.
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इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूल: मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल आज से तीन के नर्मदापुरम संभाग के दौरे पर है. आज राज्यपाल ने मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित देश के पहले सोलर विलेज बांचा का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने आदिवासी परिवार में परंपरागत भोजन का स्वाद चखा.
बांचा पहुंचे महामहिम ने यहां सबसे पहले रुद्राक्ष का पौधा रोपा और माध्यमिक स्कूल में बने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का अवलोकन किया. उन्होंने गांव की चौपाल पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में आदिवासियों के लिए संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ के प्रमाण पत्र भी बांटे. इसी दौरान आदिवासी अनिल उइके द्वारा उन्हें भोजन के लिए आंमत्रित किया गया. जिसके बाद राज्यपाल दोपहर का भोजन करने अनिल के घर पहुंचे.
राज्यपाल ने खाई कुटकी की खीर
अनिल उइके की पत्नी गंगिया बाई ने आज यहां राज्यपाल के भोजन के लिए परंपरागत आदिवासी भोज के तहत कुटकी की खीर तैयार की थी. इसके अलावा तुवर की दाल को उबाल कर बनाई जाने वाली घुंघरी को फ्राई कर बनाया गया था. इस भोज में मक्के की रोटी, गिलकी की सब्जी, सलाद, दाल-चावल और रोटी बनाई गई थी. राज्यपाल ने भोजन का जमकर लुत्फ उठाया. राज्यपाल के साथ स्थानीय सांसद डीडी उइके और विधायक डॉ योगेश पंडाग्रे ने भी भोजन किया. इस दौरान अनिल की पत्नी गंगिया बाई ने कहा कि वह राज्यपाल के लिए भोजन बनाकर और उन्हें भोजन करवाने से बेहद उत्साहित है.
पहले पैसा आता था, बीच में हो जाता था गड़बड़
इस दौरान राज्यपाल ने सरकारी योजनाओं को लेकर भी बात रखी. उन्होंने कहा कि पहले सरकारी योजनाओं का रुपया हितग्राही की जेब मे न जाकर बिचौलिए के जेब मे चला जाता था. पैसा आता तो था बीच में गड़बड़ हो जाता था. इससे पैसा लाभार्थी के जेब मे नहीं दूसरे जेब मे चला जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि अब योजनाओं का लाभ जनजातीय इलाको में मिलने लगा है. इसी का परिणाम है कि वे देश के अन्य लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल पा रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के कल्याण के लिए उनके बैंक खातों में सीधे पैसे भिजवा रहे है. जिसका फायदा लाभार्थियों को मिल रहा है.
बाचा गांव के सभी घरों में मौजूद हैं सोलर चूल्हें
दरअसल, बैतूल जिले का बाचा गांव सोलर विलेज के नाम से जाना जाता है. पूरे देश का इकलौता धुंआ रहित सोलर विलेज बनकर सुर्खियों में आया बैतूल का बाचा गांव अपने इस प्रयास के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. जहां हर घर की रसोई में सौर ऊर्जा की सहायता से भोजन तैयार किया जाता है. ओएनजीसी के अधिकारियों के सहयोग से गांव में इलेक्ट्रिक सोलर इंडक्शन लगाए गए हैं. अब यहां लोगों को न घरेलू गैस की जरूरत पड़ती है और न ही जंगल से लकड़ी काटना पड़ता है. इस सोलर इंडक्शन से महिलओं की जिंदगी पर काफी सकारात्मक असर पड़ा है. अब उन्हें रसोई में धुंए से छुटकारा मिल गया है. गांव के सभी 76 घरों में सोलर चूल्हों पर खाना पकता है.
जल संरक्षण का भी किया जा रहा काम
76 घरों के इस गांव में हर परिवार ने बारिश का पानी सहेजने के लिए अपने आंगन, बाड़ी में वाटर हार्वेस्टिंग की तर्ज पर सोख्ता गड्ढा बनाकर वर्षा जल को जमीन में भेजने की संरचनाएं तैयार की हैं. तो वहीं हर घर ने लकड़ी से जलने वाले चूल्हों को साइड कर सोलर पैनल के जरिये सौर ऊर्जा चलित धुंआ रहित चूल्हों को अपनी रसोई में जगह दे दी है.
प्लास्टिक मुक्त है पूरा गांव
इस गांव की एक और बड़ी उपलब्धि है कि ग्रामीणों ने अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त कर लिया है. इस गांव में प्लास्टिक का उपयोग न के बराबर किया जाता है. यहां पर एकत्र कचरे का उपयोग खेत के लिए जैविक खाद बनाने में किया जाता है. जिसमें अगर प्लास्टिक का कचरा हुआ तो इसे अलग रख दिया जाता है.
13 देशों के विद्यार्थी कर चुके हैं गांव का भ्रमण
गांव का ये मॉडल इतना सुर्खियों में है कि अब आईआईटी के 8 देशों के छात्र इस मॉडल को देख और परख रहे हैं. IIT बॉम्बे के जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, कोरिया, सिंगापुर, हुबेई और भारत सहित 8 देशों के 13 विद्यार्थियों ने शुक्रवार को यहां आयोजित जल महोत्सव में शिरकत की. साथ ही गांव पहुंचकर हर उस नवाचार को देखा जिसमें कुदरत के तोहफो को संजोने सहेजने के लिए इस गांव ने कामयाबी की इबारत लिखी है. इस दौरान विदेशी छात्रों ने इन प्रयासों को खूब सराहा. मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल इसी गांव का दौरा करने पहुंचे थे. जहां उन्होंने ग्रामीणों के इस प्रयास की जमकर तारीफ की है.
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