सरकारी ऐप में एरर से कट जाती थी सैलरी, टैबलेट वापस करने पहुंचे स्वास्थ्यकर्मी
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सरकारी ऐप में एरर से कट जाती थी सैलरी, टैबलेट वापस करने पहुंचे स्वास्थ्यकर्मी

मध्य प्रदेश के खंडवा में मंगलवार को ग्रामीण क्षेत्रों में के स्वास्थ्यकर्मी शासन से मिले टैबलेट वापस करने जिला मुख्यालय पहुंचे. उनका कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य कार्यकर्ता तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं.

सरकारी ऐप में एरर से कट जाती थी सैलरी, टैबलेट वापस करने पहुंचे स्वास्थ्यकर्मी

प्रमोद सिन्हा/खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा में मंगलवार को ग्रामीण क्षेत्रों में के स्वास्थ्यकर्मी शासन से मिले टैबलेट वापस करने जिला मुख्यालय पहुंचे. उनका कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य कार्यकर्ता तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं. उनके पास पहले से ही कोविड टीकाकरण के अलावा 20 से ज्यादा स्वास्थ्य योजनाओं के काम हैं. सरकारी ऐप में बार-बार त्रुटियां आने की वजह से उनका काम प्रभावित होता है. ऊपर से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा टैबलेट में इंट्री नहीं करने पर तनख्वाह काट लेने की धमकी दी जाती है. इसीलिए यह लोग टैबलेट वापस जमा करने जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय पहुंचे थे.

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं स्वास्थ्य योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है. यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोविड टीकाकरण संस्थागत प्रसव, गर्भवती एवं धात्री माताओं के टीकाकरण और दवाई वितरण जैसी बीस से ज्यादा योजनाओं को संचालित करती हैं. अभी तक इन योजनाओं में किए गए काम की एंट्री ब्लॉक मुख्यालय और जिला मुख्यालय पर डाटा एंट्री ऑपरेटर करता था, लेकिन अब शासन ने केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं की एंट्री करने का काम भी इन्हीं कार्यकर्ताओं को सौंप दिया. इसके लिए शासन की ओर से इन्हें अनमोल नाम से टैबलेट भी दिए गए.

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स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कहना है कि पहले सिर्फ एक ही एप्लीकेशन में डाटा एंट्री हो जाती थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने इसमें ई-वित्त एप्लीकेशन भी जोड़ दी गई है जिसमें महिला हितग्राहियों को प्रसव उपरांत भुगतान भी किया जाता है. हितग्राही के आधार कार्ड, बैंक खाता, समग्र आईडी, इनमें समानता नहीं होने की वजह से एप्लीकेशन में बार-बार त्रुटियां आती हैं.

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इन्हीं त्रुटियों को दुरुस्त करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार निवेदन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इन लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के ऊपर पहले से ही ज्यादा बोझ है और वह तकनीकी रूप से सक्षम नहीं है. इसीलिए यह काम डाटा एंट्री ऑपरेटर के माध्यम से करवाया जाए और टैबलेट जमा कर लिए जाएं.

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