पढ़िए, CM भूपेश और पिता नंदकुमार बघेल के राजनीतिक, धार्मिक, और वैचारिक मतभेद के किस्से
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पढ़िए, CM भूपेश और पिता नंदकुमार बघेल के राजनीतिक, धार्मिक, और वैचारिक मतभेद के किस्से

 कई ऐसे किस्से हैं जिनमें नंदकुमार बघेल और पिता भूपेश बघेल के बीच वैचारिक भिन्नता दिखाई पड़ती है. भूपेश बघेल बताते रहे हैं कि, उनके पिता से बचपन से ही उनके विचार मेल नहीं खाते.

सीएम भूपेश बघेल अपने माता-पिता के साथ

रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल को ब्राह्मण समाज के खिलाफ आवाज बुलंद करना भारी पड़ गया. ब्राह्मण समाज के लोगों ने उनके खिलाफ रायपुर में मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद मंगलवार को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया. जहां से कोर्ट ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के पिता नंदकुमार बघेल (Nand Kumar Baghel) उम्र 86 साल है. स्वतंत्र रूप से मतदाता जागृति मंच नाम की संस्था चलाते हैं. आज उनके खिलाफ रायपुर के डीडीनगर थाने में आईपीसी की धारा 153 ए और 505  1 के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. नंदकुमार बघेल ने महीने भर पहले उत्तरप्रदेश के लखनऊ में ब्राह्मण समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद ब्राह्मण समाज के लोगों ने रायपुर में प्रदर्शन भी किया था. बीजेपी छत्तीसगढ़ में नंदकुमार बघेल के बयान को सीएम से जोड़कर ट्वीटर पर हिंदू विरोधी बघेल परिवार नाम से ट्रेंड चला रही है.

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समाज को लेकर ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए 
पिता नंदकुमार बघेल के बयान पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, एक पिता होने के नाते उनका पूरा सम्मान है. मुख्यमंत्री के रूप में मेरी जिम्मेदारी है कि, समाज के सभी वर्गों के बीच में समरसता और भाईचारा बना रहना चाहिए. यदि कोई इसे खंडित करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने किसी समाज के खिलाफ जो बातें कही है उसका मुझे दु:ख है किसी भी समाज को लेकर ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए.
 
चुनाव हराने के अपील भी की है
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब नंदकुमार बघेल ने सामान्य वर्ग के खिलाफ कोई टिप्पणी की हो, भूपेश सरकार के मंत्रीमंडल में कई सामान्य वर्ग के मंत्रियों के खिलाफ भी वे सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करते रहे हैं. उन्होनें कांग्रेस के विधायक प्रत्याशियों के पक्ष में कई बार चुनाव हराने की अपील भी की है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इससे पहले भी कई बार अपने पिता से अपने वैचारिक मतभेद की बात स्वीकार कर चुके हैं. वे पत्रकारों से कहते रहे हैं कि, नंदकुमार बघेल की अपनी पहचान है, आप खबरों में उनके नाम पर कोट करें, मेरा नाम जोड़कर खबरें प्रकाशित न करें.

बता दें कि कई ऐसे किस्से हैं जिनमें नंदकुमार बघेल और पिता भूपेश बघेल के बीच वैचारिक भिन्नता दिखाई पड़ती है. भूपेश बघेल बताते रहे हैं कि, उनके पिता से बचपन से ही उनके विचार मेल नहीं खाते, इसकी वजह से वे घर छोड़कर रायपुर में पढ़ाई करने चले आए थे.

अजीत जोगी ने किताब पर बैन लगवा दिया
2001 में भूपेश बघेल अजीत जोगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. इस दौरान नंदकुमार बघेल ने ब्राहमण कुमार रावण को मत मारो नाम से एक किताब प्रकाशित की थी. अजीत जोगी ने इस किताब पर बैन लगवा दिया था. इसी दौरान नंदकुमार बघेल को जेल भी हुई थी. लेकिन तत्कालीन मंत्री भूपेश बघेल ने अपने पिता को छुड़वाने के लिए किसी तरह के राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया. दिवाली के दिन भी नंदकुमार बघेल जेल में थे, हालांकि उनकी सूचना पर भूपेश बघेल ने बेटे का फर्ज निभाते हुए उनके लिए मिठाईयां जरूर जेल भिजवाई लेकिन तत्कालीन सीएम अजीत जोगी जब भी बघेल से पूछते आपके पिता जेल में हैं, क्या करना है? भूपेश बघेल इतना भर कहते की मेरे उनके वैचारिक मतभेद हैं कानून को अपना काम करने दीजिए. इस किताब से बैन हटवाने नंदकुमार बघेल ने हाईकोर्ट में याचिका भी लगवाई. लेकिन कोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए 2017 में बैन को जारी रखने का फैसला दिया.

यहां भी दिखे मतभेद 
जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता विंध्येशवरी बघेल का निधन हुआ तब भी पिता पुत्र की धार्मिक मान्यता में मतभेद देखने को मिला था. सनातन धर्म के रीति-रिवाज से भूपेश बघेल का पूरा परिवार 10 दिनों तक श्राद्ध कार्यक्रम कर रहा था, जिसमें पिंडदान से लेकर गंगा में अस्थियां विसर्जन तक सारे रीति रिवाज सनातन धर्म के थे. लेकिन इससे इतर दौरान नंदकुमार बघेल अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार बौद्ध भिक्षुओं के साथ राजिम में कर रहे थे.

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जब कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करने पहुंच गए नंदकुमार बघेल
नंदकुमार बघेल ने 2019 के नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के पार्षद पद के प्रत्याशी प्रमेाद दुबे का विरोध करने उनके वार्ड पहुंच गए थे. उन्होंने वहां सभा आयोजित की और प्रमोद दुबे को हराने की अपील की. ठीक इसी समय भूपेश बघेल कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बना रहे थे. हालांकि नंदकुमार बघेल की अपील का कोई असर नहीं हुआ और प्रमोद दुबे इस वार्ड से चुनाव जीत गए.

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