MP News: मध्य प्रदेश (MP News) के दमोह जिले में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है. बता दें कि यहां पर एक आदिवासी युवक अपने गांव की मूल भूत समस्याओं को लेकर कलेक्टर आफिस पहुंचा. यहां उसने एक लेटर लिख कर पीएम मोदी से मिलने की इच्छा जताई है.
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महेंद्र दुबे/ दमोह: मध्य प्रदेश (MP News) के दमोह जिले में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है. बता दें कि यहां पर एक आदिवासी युवक ने अपने गांव की मूल भूत समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री मिलवाने के लिए कलेक्ट्रेट के नाम की चिट्ठी लिखी है. युवक चिट्ठी लेकर जिला कलेक्टर (Damoh Collector Office) के पास पहुंचा जहां पर उसकी चिट्ठी लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय भेजने की तैयारी हो रही है. आखिर क्या है पूरा मामला जानते हैं.
कहां का है मामला
पूरा मामला दमोह जिले के हिंडोरिया थाने के तहत आने वाले पंडा गांव का है. यहां का रहने वाला युवक घूमन आदिवासी पिछले कई सालों से अपने गांव में बुनियादी सुविधाओं को लेकर शासन प्रशासन से गुहार लगा रहा है. लेकिन आदिवासी बाहुल्य इस पंडा गांव में सड़क बिजली पानी जैसी सुविधाएं नही पहुंच पाई है जिसकी वजह से युवक सहित पूरे गांव वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब युवक ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है.
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पीएम बदल सकते हैं सूरत
आदिवासी युवक पिछले कई सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है लेकिन उसके गांव की मूल भूत चीजें नहीं पूरी हो पाई है, ऐसे में अब इस आदिवासी युवक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है और उनका मानना है कि पीएम मोदी उनके गांव की सूरत बदल सकते हैं. इसके चलते युवक ने दमोह कलेक्ट्रेट पहुंच कर कलेक्टर को एक पत्र दिया और उसमें आग्रह किया है कि कलेक्टर उसे प्रधानमंत्री से मिलवाने की व्यवस्था करें. युवक की चिट्ठी लेने के बाद अफसर कह रहे हैं कि पीएम से मिलने की इच्छा वाला ये पत्र संबंधित अधिकारियों को भेजा जा रहा है. साथ ही साथ संबंधित विभागों को भी निर्देशित किया गया है.
एमपी में आदिवासी
मध्य प्रदेश आदिवासी बाहुल्य वाले राज्यों में से एक माना जाता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में आदिवासी आबादी लगभग 21.1 मिलियन थी, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 21.1% थी. मतलब मप्र में हर पांचवां व्यक्ति आदिवासी है. इसमें से दमोह जिले में भी आदिवासियों की अच्छी आबादी है. बीते चुनाव में भी देखा गया है कि आदिवासियों को साधने के लिए सरकार ने कई सारे वादे किए थे. ऐसे में अब देखने वाली बात होती है कि आदिवासी युवक की कितने मांगे पूरी होती है.