इस गांव में 500 साल से पैदा नहीं हुआ एक भी बच्चा, हो जाती है मौत! कैसे मिला यह दर्दनाक अभिशाप
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इस गांव में 500 साल से पैदा नहीं हुआ एक भी बच्चा, हो जाती है मौत! कैसे मिला यह दर्दनाक अभिशाप


मध्यप्रदेश में एक ऐसा गांव है जहां 500 साल से एक भी बच्चे नहीं जन्म नहीं लिया. महिलाएं गांव में बच्चे को जन्म नहीं दे सकती हैं. इसके लिए उन्हें गांव से बाहर जाना जरूरी है. आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य?

इस गांव में 500 साल से पैदा नहीं हुआ एक भी बच्चा, हो जाती है मौत! कैसे मिला यह दर्दनाक अभिशाप

Mysterious Village of MP: राजधानी भोपाल से करीब 80 किमी दूर राजगढ़ जिले में पार्वती नदी के किनारे एक ऐसा गांव है, जहां 500 सालों से कोई भी बच्चा पैदा नहीं हुआ. गांव वालों का दावा है कि अगर गांव में डिलीवरी हुई तो बच्ची की मौत हो जाएगी. अगर वह जीवित भी रह गया तो विकलांग हो जाएगा या जन्म देने वाली मां की मौत हो जाएगी. इसी डर से महिलाएं सदियों से बच्चों को जन्म देने के लिए गांव से बाहर जाती रही हैं. हम जिस गांव की बात कर रहे हैं उस गांव का नाम श्यामजी सांका गांव है. 

इस समय श्यामाजी सांका गांव काफी चर्चा में है. गांव के पास डैम का निर्माण हो रहा है. डूब क्षेत्र में आने से प्रशासन गांव को खाली कराने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, गांव के लोग अपना घर छोड़ने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है. यह सदियों पुराना गांव है. यहां प्राचीन मंदिर और स्मारक बने हुए हैं. जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. 

गांव में बना है सदियों पुराना मंदिर
गांव में 16वीं शताब्दी का श्यामजी का मंदिर है, जिसका निर्माण महारानी भाग्यवती ने कराया था. किले की तरह दिखने वाले मंदिर में राधा-कृष्ण और भगवान शिव की मूर्ति है. गांव वाले बताते हैं कि पहले जब आने-जाने के साधन नहीं थे, तब महिलाओं को डिलीवरी के लिए नजदीकी गांव भेज दिया जाता था. फिर कुछ दिन बाद ही महिला को वापस बुलाया जाता था. गांव वालों का मानना है कि अगर कोई जबरन गांव में बच्चे को जन्म देता है तो बच्चा विकलांग हो जाता है या मां और बच्चे की मृत्यु हो जाती है. कई सालों से गांव के लोग इस परंपरा को निभा रहे हैं. 

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गलत हो गया तो क्या होगा?
गांव की महिलाएं बताती हैं कि गांव में डिलीवरी नहीं होती हैं. फिर चाहे इसे भगवान का वरदान कहें या श्राप. पहले जब अस्पताल नहीं हुआ करता था तो गांव के बाहर खेत में डिलीवरी कराते थे. अब तो महिलाओं को सीधे अस्पताल लेकर ही जाते हैं, लेकिन गांव में डिलीवरी नहीं कराई जाती हैं. गांव के लोग इस अंधविश्वास के पीछे वैज्ञानिक तथ्यों को मानने से इंकार करते हैं. कहते हैं कि जैसा चला आ रहा है सही है. अगर किसी का बुरा हो गया हो तो क्या होगा.

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