2021-22 के इकोनोमिक सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. इस मामले में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और चीन हैं. भारत में जिस तरह बड़ी आबादी के हाथ में स्मार्टफोन आ रहा है, उससे देश में टेक्नोलॉजी बेस स्टार्टअप में सबसे ज्यादा तेजी देखी जा रही है.
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नितिन गौतम/नई दिल्लीः नीति आयोग ने हाल ही में इनोवेशन इंडेक्स की रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में देश में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के बारे में भी बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2016 में स्टार्टअप इंडिया नामक अभियान चलाया गया था. जिससे देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण किया जा सके और रोजगार देने के साथ ही देश के विकास की रफ्तार को भी बढ़ाया जा सके. डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के अनुसार, देश में 61400 स्टार्टअप काम कर रहे हैं. जिनमें से 14000 रजिस्टर्ड हैं. वहीं वित्तीय वर्ष 2016-17 में देश में स्टार्टअप की संख्या महज 733 थी.
खास बात ये है कि देश में स्टार्टअप कल्चर अब महानगरों के अलावा टायर 2 और टायर 3 शहरों में भी फल-फूल रहा है. महानगरों में जहां कुल स्टार्टअप के 55 फीसदी हैं. वहीं टायर 2 और टायर 3 शहरों में इनकी संख्या 45 फीसदी है. गौर करने वाली बात ये है कि देश में चल रहे स्टार्टअप में से 45 फीसदी को महिलाएं लीड कर रही हैं.
साल 2021 में जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी, ऐसे वक्त में भी भारत में स्टार्टअप ने खूब तरक्की की. इसी का नतीजा है कि 2021 में भारत में रिकॉर्ड 44 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने. बता दें कि जिस स्टार्टअप की मार्केट वैल्यू एक बिलियन डॉलर तक पहुंच जाती है, उसे यूनिकॉर्न कहा जाता है. देश में आज यूनिकॉर्न की संख्या 83 है और इनका कुल मार्केट वैल्यू 277 बिलियन डॉलर है.
2021-22 के इकोनोमिक सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. इस मामले में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और चीन हैं. भारत में जिस तरह बड़ी आबादी के हाथ में स्मार्टफोन आ रहा है, उससे देश में टेक्नोलॉजी बेस स्टार्टअप में सबसे ज्यादा तेजी देखी जा रही है. इसके साथ ही डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स, फिनटेक, सॉफ्टवेयर सर्विस, एजुटेक, और डिजिटल बेस्ड बिजनेस मॉडल स्टार्टअप में खूब तरक्की की है.
मध्य प्रदेश बना स्टार्टअप हब
मध्य प्रदेश की पहचान पारंपरिक बिजनेस, खेती वाले राज्य के रूप में है लेकिन अब एमपी स्टार्टअप हब बनकर उभर रहा है. बीते कुछ सालों में एमपी में कई सफल स्टार्टअप शुरू हुए हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. एमपी के MSME विभाग की वेबसाइट के अनुसार, एमपी में स्टार्टअप की संख्या 1960 है. इनमें से 72 रजिस्टर्ड हैं. मार्केट रिसर्च प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन की रिपोर्ट के अनुसार, एमपी के इंदौर में ही 461 टेक्नोलॉजी बेस स्टार्टअप काम कर रहे हैं. कम लागत, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ, रहने-खाने का कम खर्च और कनेक्टिविटी के चलते एमपी में स्टार्टअप खूब फल-फूल रहे हैं. एमपी के बड़े स्टार्टअप-
शॉपकिराना
योर स्टोरी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर बेस्ड यह स्टार्टअप छोटे दुकानदारों और बड़े ब्रांड्स को मोबाइल एप के जरिए कनेक्ट करता है. इससे रिटेलर्स को अपनी बिक्री बढ़ाने में मदद मिलती है. इस स्टार्टअप की शुरुआत साल 2015 में तीन लोगों ने मिलकर की थी. शॉप किराना प्लेटफॉर्म पर करीब 12 हजार छोटे दुकानदार जुड़े हुए हैं. इस स्टार्टअप को साल 2018 में 2 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली थी.
शॉप किराना के अलावा एमपी में बातूनी, सिक्योरिटी बुल्स, क्लोदिंग इनोवेशन, उमोजा पे, ग्रामोफोन आदि स्टार्टअप बेहतरीन काम कर रहे हैं. इंदौर के अलावा एमपी के भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में भी कई स्टार्टअप सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं.
राज्य सरकार दे रही कई सुविधाएं
राज्य में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार भी शानदार काम कर रही है. सरकार ने राज्य में स्टार्टअप सेंटर बनाए हैं. जो स्टार्टअप को सेटअप करने में समर्पित एजेंसी के तौर पर काम करते हैं. स्टार्टअप सेंटर एमएसएमई विभाग के तहत काम करते हैं. इसके अलावा एमपी स्टार्टअप पोर्टल की भी शुरुआत की गई है. जहां से स्टार्टअप को लेकर सारी जानकारी ली जा सकती है.
एमपी सरकार 15 प्रतिशत प्रति निवेश के तौर पर अधिकतम 15 लाख रुपए की आर्थिक मदद मुहैया कराती है. वहीं महिलाओं को यह मदद 20 फीसदी तक मिलती है. लीज रेंट में में भी हर माह 5000 रुपए की छूट दी जाएगी. यह छूट3 साल के लिए होगी. साथ ही सरकार इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में भी तीन साल तक की छूट देती है. वहीं नए बिजली कनेक्शन भी तीन साल के लिए 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से दिए जाते हैं. वहीं सामाजिक आर्थिक दिक्कतों को दूर करने वाले स्टार्टअप को सरकार 1 करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता भी देती है.