साल 1995 में डायन बताकर समाज से बहिष्कृत की गई यह महिला हैं छुटनी महतो. झारखंड के सरायकेला जिले के बिरबांस की रहने वाली छुटनी महतो डायन कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं.
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नई दिल्लीः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया. इन पुरस्कारों की लिस्ट में कई बड़े-बड़े नाम हैं. साथ ही इस लिस्ट में झारखंड से एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता का नाम भी शामिल है. खास बात ये है कि कभी समाज ने इस महिला को डायन बताकर उस पर अत्याचार किए थे और समाज से उसका बहिष्कार कर दिया था. लेकिन इसी महिला को अब सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने का फैसला किया है.
कौन हैं छुटनी महतो
साल 1995 में डायन बताकर समाज से बहिष्कृत की गई यह महिला हैं छुटनी महतो. झारखंड के सरायकेला जिले के बिरबांस की रहने वाली छुटनी महतो डायन कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं. वह अब तक सैंकड़ों महिलाओं को इस कुप्रथा से बचा चुकी हैं. छुटनी महतो 60 साल की हैं और 90 महिलाओं का एक संगठन चलाती हैं. बता दें कि इनके संगठन की सभी महिलाओं को भी डायन बताकर प्रताड़ित किया गया था.
दर्दभरी है दास्तान
छुटनी महतो को एक बार उनके गांव के लोगों ने डायन बताकर घर से निकाल दिया था. उस दौरान छुटनी के पति ने भी उनका साथ नहीं दिया था. ऐसे मुश्किल समय में छुटनी महतो को अपने 4 बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रहना पड़ा था. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और साथ ही यह जिद भी ठान ली कि वह समाज से महिला को डायन बताकर प्रताड़ित करने की कुप्रथा को भी खत्म करेंगी.
छुटनी महतो को आज भी इस बात पर काफी गुस्सा और नाराजगी है. वह कहती हैं कि 'अगर मैं डायन होती तो उन अत्याचारियों को खत्म कर देती लेकिन ऐसा कुछ नहीं है'. उन्होंने बताया कि 'ओझा के कहने पर ग्रामीणों ने ऐसा जुल्म किया, जिसकी कल्पना भी कोई सभ्य समाज नहीं कर सकता. नारी को सम्मान दिलाना ही मेरा उद्देश्य है और मरते दम तक यह संघर्ष जारी रहेगा'.
पद्मश्री सम्मान मिलने की जानकारी उनके बेटे ने उन्हें दी. बता दें कि सरकार ने 119 लोगों को पद्म पुरस्कार देने का ऐलान किया है. इनमें से 7 लोगों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.
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