प्रदेश के जूनियर डॉक्टरों के साथ ही रीवा श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर ने भी सामूहिक इस्तीफा दे दिया है.
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रीवा: प्रदेश के जूनियर डॉक्टरों के साथ ही रीवा श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. इससे संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई. यहां कोरोना के 170 से अधिक मरीज और ब्लैक फंगस के 46 मरीज के साथ ही अन्य विभाग में सैकड़ो मरीजी भर्ती है. हॉस्पिटल में मेडिकल कॉलेज के 190 जूनियर डॉक्टर सेवाएं दे रहे थे.
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आपको बता दें कि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर के भरोसे से संजय गांधी मेमोरियल, गांधी मेमोरियल और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल चल रहे है. यहां इलाज का जिम्मा जूनियर डॉक्टरों पर था, लेकिन एक साथ डॉक्टरों के इस्तीफे से हॉस्पिटल में डॉक्टरों का टोटा हो गया है.
सभी 190 डॉक्टरों के इस्तीफे
कॉलेज के सभी 190 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है. डॉक्टरों ने विरोध जताते हुए मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन किया और कोविड में जान गवांए साथी डॉक्टरों को श्रद्धांजलि दी. गौरतलब है कि 4 दिनों से जूनियर डॉक्टर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर है. उनकी मांग है कि स्टायपेंड में 24 फीसदी बढोत्तरी की जाए. सरकार और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जूनियर डॉक्टर काम पर लौटने को तैयार नहीं है.
ग्वालियर में मिला सीनियर्स का साथ
इधर ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आने वाले जयारोग्य अस्पताल समूह में काम करने वाले सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने भी जूनियर डॉक्टर्स के समर्थन में आज से काम बंद कर दिया है. उनका कहना है कि हमारे साथी कई सालों से लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांग नहीं मान रही है. यही कारण है कि हम लोग भी उनके समर्थन में आज से काम बंद हड़ताल पर रहेंगे. बता दें कि ग्वालियर में रेजिडेंट डॉक्टर की संख्या लगभग 60 के आसपास है. वही जूनियर डॉक्टर के बाद अब सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल से अस्पताल में स्थितियां बिगड़ने लगी है.
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मांगे मानने को तैयार है
इसको लेकर जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ का कहना हैं कि थोड़ी देर पहले ही उनकी चिकित्सा शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत हुई थी. सरकार जूनियर डॉक्टर की मांगे मानने के लिए तैयार है, ऐसे में आवश्यक है कि अब जूनियर डॉ भी अपनी जिद को छोड़े और काम पर वापस लौटे ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके.
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