सीधी बस हादसा: एक साथ जीने-मरने की कसम हुई पूरी, पति-पत्नी का एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार
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सीधी बस हादसा: एक साथ जीने-मरने की कसम हुई पूरी, पति-पत्नी का एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार

राहुल अपनी पत्नी की पढ़ाई को लेकर गंभीर थे और पत्नी को पढ़ा लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे. पढ़िए पूरी खबर..

सीधी बस हादसा: एक साथ जीने-मरने की कसम हुई पूरी, पति-पत्नी का एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार

सीधी: सीधी सड़क हादसे ने मध्य प्रदेश को झकझोर दिया है. मंगलवार को नहर में बस गिरने से 51 जिंदगियां खामोश हो गईं. हादसे में राहुल और तपस्या ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. दोनों की शादी 8 महीने पहले ही हुई थी. 8 जून 2020 को सात फेरे लेते वक्त दोनों ने एक साथ जीने और मरने की कसम खाई थीं. यह जोड़ा एक साथ ज्यादा वक्त तक जी तो नहीं सका, लेकिन मरकर दोनों ने एक साथ जीने-मरने की कसम पूरी की. शादी के वक्त दोनों ने एक दूसरे से खुशी-खुशी जो वादे किए थे वो सबको रुलाते हुए पूरे हुए.

एक ही चिता पर दी गई मुखाग्नि
बुधवार को जब एक ही घर से दोनों की अर्थी एक साथ निकली तो सबकी आंखें नम हो गईं. फिर एक ही चिता पर दोनों को मुखाग्नि दी गई.

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पत्नी को कुछ बनाना चाहता था अजय

कुशमी तहसील की गैवटा पंचायत के देवरी निवासी अजय पनिका (राहुल) और उनकी पत्नी तपस्या सीधी में एक रूम लेकर रहते थे. राहुल अपनी पत्नी की पढ़ाई को लेकर गंभीर था और पत्नी को पढ़ा लिखाकर कुछ बनाना चाहता था. दोनों सीधी में रहकर कमला कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे. तपस्या बीएड का कोर्स भी कर रही थी और अपने पति के साथ एएनएम की परीक्षा देने के लिए सतना जा रही थी, तभी बस नहर में गिरी और दोनों हादसे का शिकार हो गए.

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पूरा गांव शोक में डूबा
बस हादसे की जानकारी लगते ही परिजन रोते-बिलखते मौके पर पहुंचे थे. तपस्या पनिका का शव 3 बजे मिल गया था, जबकि अजय का शव 5 बजे मिल पाया. इसके बाद दोनों का पोस्टमार्टम कराया गया और एंबुलेंस के जरिए शव परिजनों के पास भेजे गए. जब दोनों के शव देवरी गांव पहुंचे तो पूरा गांव शोक में डूब गया, जब एक ही घर से दो अर्थियां उठीं तो सबकी आंखें नम थीं.

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अंतिम बार बेटे को नहीं देख पाए पिता
बुधवार को जब दोनों को अंतिम विदाई दी गई तो राहुल के पिता अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए. क्योंकि वे गुजरात में रहते हैं और वहां से सीधी पहुंचने में तीन दिन का वक्त लग जाता है. इसलिए इसने समय तक शव रखना ठीक नहीं माना जाता है. यही वजह है कि दोनों का बुधवार सुबह ही अंतिम संस्कार कर दिया गया और पिता अपने बेटे को आखिरी बार भी नहीं देख पाए.

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लड़की के पिता का छलका दर्द
सीधी बस हादसे में जान गंवाने वाली तपस्या के पिता का सपना अधूरा रह गया. उन्होंने बताया कि 'हमने 8 माह पहले ही बेटी की शादी की थी. हम अपनी बच्ची को पढ़ा-लिखा कर कुछ बनाना चाहते थे, लेकिन अब वह सपना टूट गया. हमारे सारे अरमान अधूरे रह गए.'

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सीधी बस हादसा में अब तक 51 लोगों की मौत
मंगलवार को मध्य प्रदेश के सीधी जिले में यात्रियों से भरी बस के बाणसागर नहर में गिरने से अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है. बस में करीब 60 लोग सवार थे. इनमें 7 को सुरक्षित बचाया जा चुका है. अन्य लोगों का रेस्क्यू दूसरे दिन भी किया जा रहा है.बस सीधी से सतना के लिए जा रही थी.अब तक की जानकारी के मुताबिक बस में कई छात्र सवार थे, जो आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा देने जा रहे थे. मुख्य हाइवे पर जाम होने की वजह से परीक्षा सेंटर पर छात्रों को पहुंचने में देर हो जाती, इसलिए ड्रॉइवर दूसरे रास्ते से बस लेकर जा रहा था. इसी दौरान बस बाणसागर नहर में गिर गई.

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