कतारों में खड़े किसानों का कहना है कि अभी नंबर लगाएंगे, फिर सुबह बैंक खुलेंगे. तब उन्हें टोकन मिलेगा और फिर जाकर वे अपना पैसा निकाल पाएंगे.
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विदिशाः मध्य प्रदेश के विदिशा जिले से मन को झकझोर देने वाली तस्वीरें देखने को मिलीं. यहां अन्नदाता किसान बैंक में अगले दिन नंबर आ सके, इसलिए पिछली रात से कतार लगाकर जमीन पर ही सो भी रहा है. उनका कहना है कि साहूकार को समय पर पैसा देना है, नहीं दिया तो दिक्कतें हो जाएंगी.
एक ओर जहां कोरोना का कहर है, लोगों को घरों में रहने की समझाइश दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर लोगों का पेट भरने के लिए अनाज उगाने वाले किसानों को भीड़ में लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा. किसानों के लिए हमेशा काम करने का नाम लेने वाली MP सरकार के इंतजामों में इस तरह की लापरवाही आखिर कैसे हो रही है.
पासबुक पर पत्थर रख बना रहे लाइन
विदिशा जिले के शमशाबाद से सामने आईं इन तस्वीरों में किसान योजना व अपने हक का पैसा निकालने के लिए देर रात से किसान आ जाते हैं. वे सभी अपनी-अपनी पासबुक पर पत्थर रखे हुए हैं और इसी तरह कतार बनाते हुए डिस्टेंसिंग का पालन करने की कोशिश भी कर रहे हैं.
जमीन पर सोने को मजबूर किसान
हालात ये है कि मजबूरी में किसानों को जमीन पर ही सोना पड़ रहा है. एक ओर जहां प्रदेश की शिवराज सरकार खुद को किसान हितैषी होने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर इन किसानों की स्थिति देख हालात कुछ और ही नजर आ रहे हैं. किसान अपनी बिकी हुई फसल के पैसे निकालने के लिए इन कतारों में देर रात से आकर खड़े हो रहे हैं.
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'रात में जागेंगे तब तो सुबह नंबर आएगा'
कतारों में खड़े किसानों का कहना है कि अभी नंबर लगाएंगे, फिर सुबह बैंक खुलेंगे. तब उन्हें टोकन मिलेगा और वे अपना पैसा निकाल पाएंगे. कुछ किसानों ने बताया कि उनके यहां शादी होनी है, किसी को खेती-बाड़ी में जरूरत है, डीजल तक खरीदने का पैसा नहीं है. कइयों का उधार चुकाना है. कुछ ने बताया कि समर्थन मूल्य पर जो गेहूं बेचा था, उसका पैसा खाते में जमा हुआ, उसी को निकालना है लेकिन यहां रोज आने के बाद भी खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा.
इस कारण रात में ही लगा रहे कतार
शमशाबाद जिला सहकारी बैंक से जानकारी मिली कि यह पिछले 14 दिनों से बंद थी. बैंक के कुछ कर्मचारी संक्रमित पाए गए, जिसके बाद बैंक को 14 दिनों के लिए सील कर दिया गया. किसानों का इंतजार बढ़ गया. अब जैसे ही बैंक खुला, किसान भी आ गए. बताया गया है कि बैंक से एक दिन में 150 लोगों को ही पैसे दिए जा रहे, उनके बाद आए हितग्राहियों को वापस भेजा जा रहा.
वापस लौटने से अच्छा किसानों ने सोचा कि रात में ही लाइन लगाकर खड़े हो जाएं. कम से कम अगले दिन नंबर तो आ ही जाएगा.
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'साहूकार की उधारी देना है'
एक किसान से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें साहूकार की उधारी चुकाना है. अगर समय पर उधारी नहीं दी तो दिक्कतें होंगी. जिन किसानों को साहूकार की उधारी चुकाने की चिंता हो रही है, उन किसानों की चिंता करने वाले जिम्मेदारों को तो इस बात की भनक तक नहीं हो रही है. जिम्मेदार इस बात से अंजान है कि राजधानी भोपाल से कुछ ही दूरी पर किसानों की ये दुर्दशा है.
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