उपचुनाव से पहले जनप्रतिनिधियों की बड़ी टेंशन, ग्रामीण बोले-रोड नहीं तो वोट नहीं
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उपचुनाव से पहले जनप्रतिनिधियों की बड़ी टेंशन, ग्रामीण बोले-रोड नहीं तो वोट नहीं

रैगांव विधानसभा में उपचुनाव से पहले ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं. 

ग्रामीणों ने किया वोट नहीं देने का ऐलान

सतनाः बीजेपी विधायक जुगलकिशोर बागरी के निधन से खाली हुई सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. निर्वाचन आयोग ने भले ही अब तक उपचुनाव की तारीख का ऐलान न किया हो लेकिन स्थानीय लोग अभी से विकासकार्यों को लेकर मुखर हो गए हैं. रैगांव विधानसभा सीट में आने वाले एक गांव के लोगों ने चुनाव बहिष्कार की बात कही हैं क्योंकि उनके गांव में सड़क नहीं है. 

ग्रामीणों ने दिया ''रोड नहीं तो वोट नहीं'' का नारा 
रैगांव विधानसभा में आने वाले दिदौन्ध ग्राम पंचायत के लोगों ने उपचुनाव की घोषणा से पहले ही वोट नहीं देने की बात कह दी है. ग्रामीणों ने ''रोड नहीं तो वोट नहीं'' का नारा दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि वह 20 साल से सड़क की मांग कर रहे हैं. हर चुनाव में नेता चुनावी वादे करके जाते हैं मगर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. अब वोट तब तक नहीं देंगे जब तक गांव की सड़क नहीं बन जाती.

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खास बात यह है कि करीब 15 दिन पहले खड़ौरा ग्राम पंचायत के लोगों ने भी सड़क नहीं बनने पर नाराजगी जताते हुए रोड नहीं तो वोट नहीं का ऐलान किया था, तो अब दिदौन्ध पंचायत के लोगों ने भी ऐसा ही रास्ता पकड़ा है. 

नेताओं को नहीं मिलेगा गांव में प्रवेश 
गांव के युवाओं ने यहां तक कहा कि जब तक सड़क नहीं बन जाती तब तक नेताओं का इस गांव में प्रवेश भी नहीं मिलेगा. दिदौन्ध गांव में 12 टोले और करीब 3500 वोटर्स हैं, यहां 1 उपस्वास्थ्य केंद्र भी हैं जहां बरसात के दिनों में कोई भी व्यक्ति जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क नहीं होने से उन्हें हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पिछले 20 साल से वह इस समस्या से परेशान है. लेकिन अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई है. ऐसे में नाराज ग्रामीणों ने उपचुनाव के बहिष्कार की बात कही है. 

ग्रामीण विक्रम सिंह बघेल ने कहा कि गांव वालों ने कई बार जिला पंचायत, कलेक्टर के यहां आवेदन दिए और स्वयं भी कलेक्टर साहब से मिले आवेदन दिए वो लोग लिखकर दे देते हैं मगर कोई देखने नहीं आता. सड़क नहीं होने से बरसात में सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है.  इसलिए जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं और गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं होता तब तक हम किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेंगे और किसी भी नेता को गांव के अंदर नहीं आने देंगे. 

मतदान न करना किसी समस्या का हल नहीं
खास बात यह है कि गांवों में विरोध के स्वर मुखर होते ही प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है. दो दिन पहले सड़क की मांग को लेकर स्टेट हाइवे-52 जाम करने वाले ग्रामीणों को समझाइश देने वाले तहसीलदार शैलेन्द्र बिहारी शर्मा का कहना है कि मतदान न करना किसी समस्या का हल नहीं है. ग्रामीणों की समस्या से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, जहां तक बात मतदान के बहिष्कार की तो इस मामले में गांव वालों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा

दरअसल, रैगांव विधानसभा से बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी का कोविड-19 से निधन हो गया था. उनके जाने के बाद खाली हुई सीट पर एक बार फिर भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों की नजर है. लेकिन  मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे गांव वाले भी अब अपनी मांगे मनवाने का मन बना चुके हैं. 

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