केन्द्र सरकार पूरे देश में सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसे कुल 30 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर करीब 45 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
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भोपालः केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आज मध्य प्रदेश पहुंचे. यहां राजधानी भोपाल में केन्द्रीय मंत्री ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की. इसके अलावा अटल भू-जल योजना, जल जीवन शक्ति मिशन आदि पर भी बात हुई. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने एक बयान में कहा कि केन बेतवा प्रोजेक्ट के अवरोध जल्द ही खत्म होंगे.
क्या है केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट
बता दें कि केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट नदियों को इंटरलिंक करने का प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश की केन नदी और उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी को लिंक किया जाएगा. केन्द्र सरकार पूरे देश में सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसे कुल 30 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर करीब 45 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
क्या होगा इस प्रोजेक्ट से फायदा
केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से सरकार सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने की योजना बना रही है. बुंदेलखंड क्षेत्र यूपी और एमपी में फैला हुआ है. इसके तहत मुख्य तौर पर यूपी के झांसी, बांदा, ललितपुर और महोबा जिले आते हैं. वहीं एमपी के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले बुंदेलखंड क्षेत्र में आते हैं. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से बुंदेलखंड में सिंचाई, पीने के पानी की कमी दूर हो सकेगी.
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इसके साथ ही इंटरलिंकिंग के बाद एक बांध भी बनाया जाएगा, जिससे 75 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा. साथ ही करीब 13 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा.
ये है विवाद
इस प्रोजेक्ट को लेकर एमपी और यूपी की सरकारों में विवाद चल रहा है, जिसके चलते इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है. इस प्रोजेक्ट का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसके मुताबिक एमपी को 2650 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है. वहीं यूपी को 1700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है. हालांकि यूपी सरकार की तरफ से 935 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की और मांग की गई है. जिससे एमपी ने इंकार कर दिया है. इसी के चलते यह प्रोजेक्ट अटक गया है. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत का एमपी दौरा भी इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों सरकारों के बीच सहमति बनाने के उद्देश्य से माना जा रहा है.
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इसके अलावा इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है. बता दें कि केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है. केन-बेतवा इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा पानी में डूब जाएगा, जिससे यहां रहने वाले टाइगर्स को नुकसान होगा. साथ ही इस प्रोजेक्ट पर जो बांध बनाया जाएगा, उसके चलते दोउधन और मकोडिया जगह के करीब 20 हजार लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा.
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