MP: ट्रेन में हुई पत्नी की मौत, गरीब परिवार के पास नहीं थे शव वाहन के लिए पैसे, युवाओं ने ऐसे की मदद
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MP: ट्रेन में हुई पत्नी की मौत, गरीब परिवार के पास नहीं थे शव वाहन के लिए पैसे, युवाओं ने ऐसे की मदद

दरअसल, अवध एक्सप्रेस की बोगी नम्बर एस-3 में गंभीर बीमारी का इलाज करवाकर मुंबई से लौट रही महिला सीताबाई की ट्रेन में मृत्यु हो गई थी. 

MP: ट्रेन में हुई पत्नी की मौत, गरीब परिवार के पास नहीं थे शव वाहन के लिए पैसे, युवाओं ने ऐसे की मदद

मनीष पुरोहित/मंदसौर: सोशल मीडिया मुसीबत में फंसे लोगों के लिए भी बड़ा मददगार साबित होता है. ऐसा ही एक मामला मंदसौर में सामने आया है. जहां अनजान शहर में मुसीबत में फंसे एक परिवार की कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल से मदद की. जिसकी सभी तारीफ कर रहे हैं. दरअसल, मुंबई के बांद्रा से गोरखपुर यात्रा कर रही उत्तर प्रदेश की एक महिला की ट्रेन में 19 दिसंबर को मृत्यु हो गई थी. उसका शव शामगढ़ उतारा गया, जहां पर पोस्टमार्टम के बाद शव को अपने घर तक ले जाने के लिए परिवार के पास पर्याप्त धन नहीं था. युवाओं ने परिवार की मदद करने का बीड़ा उठाया और सोशल मीडिया पर अपील की. शाम तक धन एकत्रित हो गया और अंजान शहर के युवाओं ने पूरी मदद कर परिजनों की तरह इस परिवार को गंतव्य के लिए रवाना किया.

दरअसल, अवध एक्सप्रेस की बोगी नम्बर एस-3 में गंभीर बीमारी का इलाज करवाकर मुंबई से लौट रही महिला सीताबाई की ट्रेन में मृत्यु हो गई थी. सूचना पर जीआरपी शामगढ़ ने शव को उतारा और पोस्टमार्टम के लिए भेजा. वहीं, मृतका के साथ उनके पति राम उजागिर सिंह चौहान, 8 साल का बेटा और 15 वर्ष की बेटी थी. सबका रो-रोकर बुरा हाल हो गया. पति ने बताया कि वे चोगरी मोगरा तहसील व जिला बस्ती, गोरखपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि पत्नी लम्बे समय से बीमार थी. मई-जून में मुंबई कैंसर के इलाज के लिए ले गए थे.

उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने कहा था कि अब घर ले जाओ, घर पर ही सेवा करना. लेकिन, रास्ते में ही ऐसा हो गया. सबने समझाने की कोशिश की कि दाह संस्कार विधि विधान से यहीं कर देते हैं. लेकिन, मृतका के पति ने कहा कि उसकी पत्नी की इच्छा के अनुसार वह पत्नी का दाह संस्कार गांव में ही करना चाहता है. लेकिन, परिवार के पास शव वाहन के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं था. इसके बाद युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपील कर रकम जुटाई और परिवार को पूरी मदद कर अपने गांव के लिए रवाना किया. 

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