Madhya Pradesh: पति और बेटों के व्यवहार से परेशान थी महिला टीचर, मंदिर को दान कर दी 1 करोड़ की संपत्ति
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Madhya Pradesh: पति और बेटों के व्यवहार से परेशान थी महिला टीचर, मंदिर को दान कर दी 1 करोड़ की संपत्ति

Offbeat News: शिव कुमारी जादौन नाम की महिला टीचर ने अपने 2 बेटों को उनका हिस्सा देने के बाद अपने हिस्से की प्रॉपर्टी और पैसा जो करीब 1 करोड़ रुपये के आसपास है, को अपनी मर्जी से छिमछिमा हनुमान मंदिर ट्रस्ट को डोनेट कर दिया है.

महिला टीचर जिन्होंने दान की अपनी संपत्ति

Latest Trending News: आपने दान से जुड़ी कई कहानियां सुनी होंगी. इन कहानियों में कई ऐसे भी लोग होते हैं जो अपना सबकुछ चैरिटी के लिए या भगवान के लिए दान दे देते हैं. ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के श्योपुर में रहने वाली एक महिला टीचर ने किया है. इस महिला टीचर ने अपनी करीब एक करोड़ रुपये की संपत्ति हनुमान मंदिर के नाम पर दान दे दी है. उन्होंने पहले तो अपनी संपत्ति से अपने दोनों बेटों का आधिकारिक हिस्सा उन्हें दिया. इसके बाद अपने हिस्से में आई संपत्ति को दान करने का फैसला किया.

छिमछिमा हनुमान मंदिर ट्रस्ट को दान की है संपत्ति

रिपोर्ट के मुताबिक, शिव कुमारी जादौन नाम की महिला विजयपुर क्षेत्र के खितरपाल गांव के सरकारी स्कूल में टीचर हैं. इनके 2 बेटे हैं और इन्होंने इन दोनों को उनका हिस्सा दे दिया है. महिला का कहना है कि बेटों को देने के बाद उनके हिस्से में जो प्रॉपर्टी, मकान और बैंक बैलेंस बचा उन सबको उन्होंने अपनी मर्जी से छिमछिमा हनुमान मंदिर ट्रस्ट को डोनेट कर दिया है.

सैलरी और जीवन बीमा पॉलिसी भी की दान

शिव कुमारी ने अपनी इस वसीयत में लिखा है कि मेरे मरने के बाद मेरा मकान और मेरी सभी चल-अचल संपत्ति मंदिर ट्रस्ट की होगी. यही नहीं बैंक बैलेंस, जीवन बीमा पॉलिसी से मिलने वाली राशि और सोना-चांदी भी मंदिर ट्रस्ट का होगा. उन्होंने ये भी कहा है कि उनकी मौत के बाद जो भी क्रिया कर्म हो, वो मंदिर ट्रस्ट के लोग ही मिलकर करें. वसीयत के मुताबिक, सब मिलाकर उनकी कुल संपत्ति एक करोड़ के आसपास है.

इस वजह से किया ये बड़ा फैसला

रिपोर्ट में बताया गया है कि शिव कुमारी अपने पति और दोनों बेटों के व्यवहार से काफी आहत रहती हैं. उनका एक बेटा कई क्राइम कर चुका है, जबकि पति का व्यवहार भी ठीक नहीं है. वह अपने बेटों और पति से इतनी आहत हैं कि उन्होंने वसीयत में यह भी लिखवाया है कि उनकी मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार और आगे के क्रिया कर्म मंदिर ट्रस्ट के लोग ही करें.  मंदिर को सपत्ति दान देने को लेकर वह कहती हैं कि बचपन से ही उनकी भगवान में आस्था रही है और वह शुरू से ही काफी पूजा-अर्चना करती हैं. यही वजह है कि उन्होंने सारी संपत्ति हनुमान मंदिर के नाम ही की है.

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