Maha Kumbh Mela 2025: यूपी में महाकुंभ से पहले बहुत बड़ा खुलासा, पढ़िए प्रयागराज से आई एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
Advertisement
trendingNow12509191

Maha Kumbh Mela 2025: यूपी में महाकुंभ से पहले बहुत बड़ा खुलासा, पढ़िए प्रयागराज से आई एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

Prayagraj News: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मेले को भव्यतम बनाने के लिये कौन-कौन सी योजनाएं तैयार की हैं. ग्राउंड जीरो यानी मेला क्षेत्र में क्या कुछ माहौल चल रहा है, आइए आपको बताते हैं.

Maha Kumbh Mela 2025: यूपी में महाकुंभ से पहले बहुत बड़ा खुलासा, पढ़िए प्रयागराज से आई एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

Mahakumbh 2024 News: प्रयागराज (Prayagraj) के संगम तट पर दुनिया के सबसे दिव्य और भव्य धार्मिक मेले का आयोजन होने वाला है. महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच 50 किलोमीटर इलाके में फैले मेला क्षेत्र में गैर-हिंदुओं पर बैन लगाने की मांग जोर पकड़ रही है. इस रिपोर्ट में आपको मेला क्षेत्र की उस हकीकत से रूबरू कराएंगे जिसके बारे में बहुत लोगों को जानकारी होगी. मुद्दे की बात और सौ बात की एक बात ये ही कि साधु-संत जिन मुसलमानों को दूर रखना चाहते हैं वो तो महाकुंभ शुरु होने से काफी पहले ही पहुंच गये हैं. इस पर संत समाज क्या कह रहा है ये भी बहुत महत्वपूर्ण है.

साधु संत रोकते रह गये और महाकुंभ में जुम्मन और सलीम पहुंच गए. इस समय प्रयागराज में क्या हो रहा है? क्या वहां जो लोग हैं उनमें कोई गैर-हिंदू हैं या नहीं. ये जानने-समझने के लिये ज़ी न्यूज की टीम प्रयागराज पहुंच गई. सबसे पहले हमने संगम तट पर मौजूद पंडित जी से सवाल पूछा. तीर्थ पुरोहित पंडित जयशंकर तिवारी ने जवाब देते हुए कहा, 'जी मौजूद हैं. ये सभी मुस्लिम हैं जो सिंदूर-अबीर बेच रहे हैं. यहां पर नाई हैं दो तीन, वो भी मुसलमान हैं. ऐसे में मेला क्षेत्र की शुचिता बनाए रखने के लिए 2025 महाकुंभ मेला शुरू होने से पहले इनको बाहर किया जाना चाहिए.'

ये भी पढ़ें- दिल्ली को ताकत दिखानी होगी... रूह कांप जाएगी, वक्फ बिल पर तौकीर रजा का भड़काऊ बयान

विवाद का संबंध अर्थशाष्त्र से?

महाकुंभ के इलाके में गैर-हिंदुओं को लेकर चल रहे विवाद का अर्थशास्त्र से भी सीधा संबंध है. 14 जनवरी 2025 से शुरु होनेवाले महाकुंभ 2025 में रिकॉर्डतोड़ 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ सकते हैं. महाकुंभ के 45 दिनों में ही यहां लाखों-करोड़ों रुपये का कारोबार होगा. इसलिये गैर-हिंदू भी इसका हिस्सा बनना चाहते हैं.

ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय का यहां मौजूद होना लाजिमी है. खैर ग्राउंड रिपोर्ट की बात करें तो ज़ी न्यूज़ के संवाददाता ने संगम तट पर मौजूद भीड़ में तलाश शुरु की तो हमें एक सिंदूर बेचनेवाला मिला. क्या पंडित जी इन्हीं की बात कर रहे थे? ये बात जानने के लिये हमने उससे बातचीत शुरू की तो उसने अपना नाम जुम्मन बताया. 

सवाल - क्या करते हैं?

जवाब - सिंदूर बेचते हैं.

सवाल - क्या आपको साधु संतों की डिमांड पता है नहीं?

जुम्मन - हम तो धंधा बिजनेस करते हैं हमको नहीं मालूम. साधु संत कहेंगे तो बाहर चले जाएंगे और क्या करेंगे.

सवाल (महिलाओं से) - आपको पता है कि गैर हिंदू हैं.? जवाब में उन्होंने कहा- 'नहीं पता. कोई आपत्ति नहीं कोई नहीं.'

यानी महाकुंभ के लिये संतों ने जिन गैर हिंदुओं को बाहर रखने की डिमांड की है. वो पहले से ही संगम पहुंच गये हैं. जुम्मन से बातचीत के बाद पता चला कि वो अकेला नहीं है. उसकी तरह कई और भाईजान भी संगम किनारे आनेवाले श्रद्धालुओं को सिंदूर-अबीर बेचते हैं.

जुम्मन से आगे बातचीत का ब्योरा भी पढ़ लीजिए.

सवाल- आप अकेले हैं या कुछ और साथी भी हैं?
जुम्मन -   और साथी हैं. 
सवाल - कितने लोग आये हैं.
जुम्मन - कई लोग हैं. मेला करने चले गये फैजाबाद. महाकुंभ शुरु होगा तो रहते हैं मेला परिसर में

संतों ने जो गैर हिंदुओँ पर बैन की डिमांड की है. उसके बारे में जुम्मन को कुछ खास पता नहीं. हालांकि संगम तट पर खड़े लोगों ने भी संतों का बयान दोहरा दिया. उन्होंने कहा कि गैर हिंदुओं को महाकुंभ मेला क्षेत्र में नहीं आना चाहिए. प्रयागराज पहुंचे कई श्रद्धालुओं ने यही बात दोहराई. फिर हमने जुम्मन के बगल में खड़े आदमी से सवाल किया तो उसने कहा, 'हम साधु-संतों ने जो कहा उसके समर्थक हैं. उन लोगों को नहीं आना चाहिए. सरकार को रोक लगाना चाहिए.'

प्रयागराज में श्रद्धालु और पुरोहितों के बीच का अंतर साफ-साफ दिखा. संगम में स्नान और पूजा करने आये श्रद्धालु वहां मौजूद दुकानदारों से सामान खरीद रहे थे. जबकि उसी जगह मौजूद सनातनी इसका विरोध कर रहे थे. क्या इसकी वजह सिंदूर बेचनेवालों का गैर हिंदू होना था.. हमने इसपर भी सवाल पूछा.

सवाल - (तीर्थ पुरोहित गोस्वामी पंडित से) क्या यहां पर गैर सनातनी मौजूद हैं?

तीर्थ पुरोहित पंडित जयशंकर तिवारी - सैकड़ों लोग हैं. यहां जितने बेचने वाले हैं सब मुसलमान हैं. सिंदूर टिकली बेचने वाले सब मुसलमान हैं. 

सवाल  - इसमें परेशानी क्या है?

तीर्थ पुरोहित पंडित जयशंकर तिवारी - चोरी होती है. पंडा लोग फंस जाते हैं. नाव वाले फंस जाते हैं. लोग मार खाते हैं. बदनामी होती है. 

सवाल - यहां पर ऐसे किसी काम में कोई गैर सनातनी पकड़ा गया?

तीर्थ पुरोहित पंडित जयशंकर तिवारी- रोज दो-चार पकड़े जाते हैं. कहीं चेन तो कहीं पर्स तो कहीं पैंट लेकर भाग गए. व्यापार कर रहे हैं. करें लेकिन दूर करें. बाकी अपना 50 किलोमीटर के बाहर चाहे जो करें. वो कमाई करें या दुकान खोलें. हमें कोई मतलब नहीं है. 50 किलोमीटर के रेंज में नहीं रहना चाहिए. 

गैर सनातनियो को हटा दिया जाए: तीर्थ यात्री

संगम किनारे जो तीर्थ पुरोहित मौजूद हैं उनका ये कहना है कि गैर सनातनी आता है तो कई ऐसे भी गैंग काम कर रहे हैं जो यहां पर छोटे-मोटे सामान बेचने के नाम पर आते हैं लेकिन यहा पर अपराध भी अंजाम देते हैं. जिसकी वजह से मेला क्षेत्र में काफी परेशानी होती है इसी वजह से मांग कर रहे हैं कि गैर सनातनियो को हटा दिया जाए.

गैर सनातनी विवाद को लेकर प्रयागराज में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में फैसला लिया गया था. इस बात से देश भर के साधु सन्यासी सहमत हैं. अब तक के सबसे भव्य और दिव्य महाकुंभ के आयोजन से मुसलमानों को दूर रखने की संत समाज की मांग पर हर दिन नये बयान आ रहे हैं.

साध्वी प्राची ने कहा, 'गैर धर्मावलंबियों पर पूर्ण बैन' लगना चाहिए. गैर सनातन धर्म वालों की कुंभ में एंट्री नहीं होनी चाहिए. वो थूक जिहाद चलाते है. उनका मूत्र जिहाद चल रहा है'.

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा - 'थूकलीगी गैंग पर भरोसा कैसे करें' कुंभ के 50 Km के इलाके में किसी भी नए व्यक्ति को समान बेचने की परमिशन नहीं होनी चाहिए. खाने-पीने की बात छोड़ दीजिए. थूकलीगी गैंग' पर भरोसा कैसे कर सकते हैं.

संगम तट के बाद हमारी टीम पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी पहुंची. कुंभ में सैकड़ों गैर हिंदुओं के होने की खबर पर हमने उनसे भी सवाल पूछा और उन्होंने भी बाकी धर्मगुरुओं की तरह अखाड़ा परिषद के फैसले का पूरा समर्थन किया.

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत ओंकार गिरि ने कहा, 'कहीं कुछ मिलाते हैं. कही थूक मिला देते हैं. रोटी में भी थूक लगाकर बनाते हैं. इसलिये उनको दूर रखना चाहिए.'
 
सवाल- क्या निरंजनी अखाड़ा भी इसका समर्थन करता है 50 किलोमीटर दूर रखना चाहिए?
जवाब- हां सनातनी वालों को ही परमीशन होनी चाहिए. दूसरे धर्म वाले आएंगे तो धर्म भ्रष्ट करेंगे.

महाकुंभ में 'भाई जान' की एंट्री बैन करने की मांग और बयानों का मतलब एकदम साफ है कि वो किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं पर सनातन के सबसे बड़े धार्मिक कार्यक्रम की पवित्रता बनाये रखने के लिए संत समाज के फैसले का सम्मान होना चाहिए.

पंचायती अखाड़े में निर्माण काम करने वाले मुस्लिम कामगारों के दिल की बात जानिए.

सवाल - कहा जा रहा है कि यहां मुसलमान बैन कर दिये जाएं.  
जवाब - हम मुस्लिम हैं. हमारा काम मकान बनाने का काम है. हमें तो कभी लगा नहीं विवाद है. पूजा पाठ करते हैं हमें उससे कोई दिक्कत नहीं. हम भी माथा झुकाते हैं आप भगवान के मंदिर में माथा झुकाते हैं. हरिओम नमो नारायण कहते हैं. महाराज जी हरिओम कहकर हमारी बातचीत की शुरुआत होती है. 

साधु संतों की मांग पर मुस्लिम कामगार क्या सोचते हैं. इसपर मुर्सलीम का जवाब आपको हैरान कर देगा.

पंचायती अखाड़े में निर्माण काम करने वाले मुर्सलीम का जवाब -  मुसलमानों को खाने-पीने की दुकानों से दूर रहना चाहिये. कोई दिक्कत नहीं. कुछ मुसलमान कह रहे हैं नुकसान होगा. क्यों होगा आगे लगा लें. किसी चीज से एतराज है तो उस काम को मत करो. 

पंचायती अखाड़े में निर्माण काम करने वाले नूर आलम, अली जान और नौशाद से भी हमने बात की जो निरंजनी अखाड़े का रंग रोगन सजाने का काम करते हैं.  आलम और अली जान ने कहा - महाराज जी खाना खिलवाते हैं. यहां हिंदू-मुस्लिम वाली बात नहीं है.

अखाड़े में काम करनेवालों ने माना कि उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होता. जबकि देश का एक तबका ऐसा है.  जो साधु-संतों की महाकुंभ वाली मांग के बाद उन्हें मुस्लिम विरोधी साबित करने की साजिश कर रहा है. पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के थानापति कुलदीप महाराज ने कहा, 'ये मांग इसलिए है क्योंकि देश में जो खाने-पीने की चीजें में हो रहा है. सिर्फ उसके आधार पर वैसी घटनाओं को रोकने के लिए ये मांग की गई है. 

(इनपुट: शरद अवस्थी)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news