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Aarey metro car shed Project: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली नई सरकार ने आरे कॉलोनी में मुंबई मेट्रो-3 कार शेड के निर्माण पर लगी रोक गुरुवार को हटा ली है. यह कॉलोनी पश्चिमी उपनगर में एक ग्रीन बेल्ट है जिसे लेकर कई साल से विवाद चल रहा था. राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक दिन पहले मुंबई में जापान के महावाणिज्य दूत फुकाहोरी यासुकता से मुलाकात की थी और उन्हें जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) से वित्त पोषित परियोजनाओं के क्रियान्वयन की स्पीड तेज करने का भरोसा दिया था.
आरे पर जमकर सियासी घमासान
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उपनगर गोरेगांव में आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 कार शेड के निर्माण पर 2019 में लगी रोक हटाने का ऐलान किया है. पिछली सरकार में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पद संभालने के 24 घंटे के भीतर ही कार शेड के काम को आरे से कंजूरमार्ग में शिफ्ट करने का ऐलान कर दिया था. साथ ही उन्होंने आरे कॉलोनी के इलाके को जंगल घोषित किया था. हालांकि बीजेपी के सहयोग से एकनाथ शिंदे सरकार ने सत्ता में आते ही प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का ऐलान किया था और उद्धव सरकार के फैसले को पलट दिया था.
आरे प्रोजेक्ट की वजह से ही 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच मतभेद पैदा हो गया था क्योंकि उद्धव ठाकरे की पार्टी शुरू से ही आरे में इस मेट्रो शेड प्रोजेक्ट का विरोध करती आई है. साथ ही शिवसेना की मांग थी कि प्रोजेक्ट को कहीं और शिफ्ट किया जाए. यही वजह रही कि चुनाव के बाद सरकार बनाने के साथ ही उद्धव ने आरे प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी.
सरकार ने किया फैसले का बचाव
शिंदे सरकार में फडणवीस को डिप्टी सीएम का पद मिलने के साथ ही आरे प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का ऐलान कर दिया गया था. साथ ही शहरी विकास मंत्रालय को इससे जुड़े निर्देश भी जारी किए गए थे. अपनी सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी आरे कार शेड प्रोजेक्ट को मंजूरी दे चुका है और ऐसे में फिर भी कोई इसका विरोध करता है तो उसकी नियत पर शक जरूर होगा. पूर्व में शिवसेना नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस प्रोजेक्ट के फायदों के बारे में जानकारी दी.
शिंदे ने कहा कि एक बार मेटो सर्विस शुरू हो जाने पर सभी को इसका फायदा होगा. साथ ही JICA इस प्रोजेक्ट को फंड कर रहा है और अगर इसमें देरी होती है तो इसके मुआवजे के तौर पर अन्य बड़ी परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं. उद्धव सरकार की ओर से प्रोजेक्ट पर रोक के सवाल पर फडणवीस ने कहा कि यह परियोजना कांग्रेस के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यकाल में फाइनल हुई थी और फिर बीजेपी-शिवसेना की सरकार आने पर हमने सिर्फ इंटरनेशन लोन के लिए मंजूरी ली, साथ की काम की शुरुआत की गई थी.
आरे प्रोजेक्ट पर क्यों है विवाद?
आरे में मेट्रो शेड के निर्माण को लेकर काफी साल से विवाद चल रहा है. पर्यावरणविदों और सरकार का अलग-अलग पक्ष रहा है. साल 2014 से 33.5 किलोमीटर लंबा कोलाबा से बांद्रा अंडरग्राउंड मेट्रो 3 प्रोजेक्ट सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. यहां मेट्रो कार शेड बनाने के लिए गोरेगांव के आरे में 1800 एकड़ से ज्यादा ग्रीन बेल्ट की पहचान की गई और बड़ी संख्या में पेड़ भी काटे गए थे. इसके अलावा कई लोगों के घर उजड़ जाने के बाद प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध तेज हो गया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था.
(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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