राष्ट्रपति शासन के बाद भी महाराष्ट्र में जारी रहेगा राजनीतिक संग्राम, शिवसेना और BJP में समर्थन जुटाने की होड़
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राष्ट्रपति शासन के बाद भी महाराष्ट्र में जारी रहेगा राजनीतिक संग्राम, शिवसेना और BJP में समर्थन जुटाने की होड़

महाराष्ट्र (Maharashtra) में भले ही राष्ट्रपति शासन लग चुका है, लेकिन यहां राजनीतिक ऊठापटक बढ़ता ही जा रहा है. मंगलवार शाम को कांग्रेस-एनसीपी, शिवसेना और बीजेपी की प्रेस कांफ्रेंस के बाद साफ हो चुका है कि यहां राजनीतिक संग्राम जारी रहेगा.

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी और शिवसेना दोनों की कोशिशें जारी.

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में भले ही राष्ट्रपति शासन लग चुका है, लेकिन यहां राजनीतिक ऊठापटक बढ़ता ही जा रहा है. मंगलवार शाम को लगातार तीन प्रेस कांफ्रेंस हुई और तीनों में अलग-अलग दावे किए गए. पहली प्रेस कांफ्रेंस में एनसीपी-कांग्रेस ने कहा कि शिवसेना (Shiv Sena) को समर्थन देने पर अभी बातचीत का दौर कायम है. वहीं शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अभी छह महीने का वक्त है हम समर्थन जुटाने के लिए कांग्रेस-एनसीपी से बातचीत कर रहे हैं. इन दोनों प्रेस कांफ्रेंस के बाद बीजेपी के नेता नारायाण राणे ने बयान देकर महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में कंफ्यूजन और भी बढ़ा दिया. नारायण राणे (Narayan Rane) ने दावा किया कि बीजेपी भी सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है. उन्होंने दावा किया किया निर्दलीय के अलावा विरोधी खेमे के कई विधायक उनके संपर्क में हैं.

तीनों पार्टियों के बयान का निष्कर्ष निकालें तो यह साफ हो चुका है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीतिक सरगर्मी फिलहाल थमता हुआ नहीं दिख रहा है. ये भी साफ हो चुका है कि बीजेपी और शिवसेना (Shiv Sena) दोनों खेमा अपने-अपने स्तर से एक-दूसरे के विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिश करेंगे.

हमारे पास अभी 6 महीने का वक्त: शिवसेना (Shiv Sena)
उधर, शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमें सरकार बनाने के लिए समर्थन जुटाने के लिए काफी कम वक्त मिला है. समर्थन जुटाने के लिए महज 24 घंटे का वक्त बेहद कम है. जबकि राज्यपाल ने बीजेपी को समर्थन जुटाने के लिए ज्यादा वक्त दिया गया. उन्होंने कहा कि हमने कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत की, लेकिन इतनी जल्दी में न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर बातचीत नहीं हो पाई. उद्धव ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने से घबराने की जरूरत नहीं है. शिवसेना (Shiv Sena) सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत जारी है.

प्रेस कांफ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले संभावना थी कि बीजेपी 200-220 सीटें आएंगी. ऐसे समय में बीजेपी के लोग हमसे मिलने आए थे. हमने अंधेरे में तीर चलाते हुए उनका साथ दिया था. अब जब उनकी स्थिति मजबूत हो गई है तो वे अपने वादे मुकर रहे हैं. उद्धव से जब हिंदुत्व के मुद्दे पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये तो बीजेपी को बताना चाहिए की उन्होंने महबूबा मुफ्ती, नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं के साथ मिलकर कैसे सरकार चलाई थी.

उद्धव ने कहा कि हम सरकार बनाने की कोशिश में हैं. जब विपरीत विचारधारा के दल आपस में मिलते हैं तो उसमें समय लगता है. इसलिए हमें भी कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत करने में वक्त लग रहा है. हमारे पास छह महीने का वक्त है. राष्ट्रपति शासन से घबराने की जरूरत नहीं है. प्रेस कांफ्रेंस में उद्धव के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे भी मौजूद रहे.

एनसीपी-कांग्रेस की मीटिंग बेनतीजा
उधर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बातचीत के बाद हुई संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार बनाने के लिए शिवसेना (Shiv Sena) ने पहली बार 11 नवंबर को एनसीपी और कांग्रेस से आधिकारिक रूप से संपर्क किया. इतनी जल्दबाजी में आम सहमति बनाना संभव नहीं था. सरकार गठन से पहले सभी दलों के बीच आम सहमति बनना जरूरी है.

वहीं संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि शिवसेना (Shiv Sena) को समर्थन देने पर अभी फैसला नहीं लिया गया है. शिवसेना (Shiv Sena) की तरफ से 11 नवंबर को सोनिया गांधी के पास समर्थन मांगने के लिए फोन आया था. इसपर उन्हें कहा गया था कि एनसीपी से बातचीत के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा. अहमद पटेल ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को गलत बताया है. 

पटेल ने कहा कि पिछले कुछ साल से लगातार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस की अवहेलना हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने बारी-बारी से बीजेपी, शिवसेना (Shiv Sena) और एनसीपी को सरकार बनाने का मौका दिया, लेकिन कांग्रेस को पूछा नहीं गया, यह सरासर गलत है. राज्यपाल ने संविधान का मजाक उड़ाया है.

प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने स्पष्ट किया कि फिलहाल बातचीत का दौर जारी रहेगा, अभी किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता है. शिवसेना (Shiv Sena) के साथ एक बार फिर से बातचीत की जाएगी जिसके बाद ही आगे का कदम उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार यूं नहीं बनती हैं, इससे पहले तीनों दलों के बीच सारी बातें साफ होनी जरूरी है. 

मालूम हो कि महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे. इसमें जनता ने बीजेपी+शिवसेना (Shiv Sena) गठबंधन को बहुमत दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों दलों के बीच झगड़ा हो गया और सरकार नहीं बन पाई. इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने नंबर एक पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद राज्यपाल ने बारी-बारी से नंबर दो शिवसेना (Shiv Sena) और नंबर तीन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को सरकार बनाने का मौका दिया, लेकिन ये दोनों भी बहुमत का आंकड़ा जुटाने में असफल रहे हैं. इसके बाद राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी . विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना (Shiv Sena) को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं.

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