क्या कुर्मी समुदाय को मिलेगी ST कैटेगरी में जगह? ममता सरकार के साथ बातचीत में होगा फैसला
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क्या कुर्मी समुदाय को मिलेगी ST कैटेगरी में जगह? ममता सरकार के साथ बातचीत में होगा फैसला

कुर्मी समुदाय के लोग, अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दिए जाने और कुर्माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मांग कर रहे हैं. उनका आंदोलन इसी मुद्दे पर आधारित है.

क्या कुर्मी समुदाय को मिलेगी ST कैटेगरी में जगह? ममता सरकार के साथ बातचीत में होगा फैसला

कुर्मी समुदाय ने पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जनजाति (ST) में जगह पाने की मांग को लेकर अपने आंदोलन की आग को शांत कर लिया है. दरअसल, ममता बनर्जी की सरकार ने कुर्मी समुदाय के लोगों से बातचीत करने को कहा है. इसके लिए 11 नवंबर का दिन तय किया गया है. इस फैसले के बाद कुर्मी समुदाय ने राज्य के कुछ हिस्सों से रेल नाकाबंदी वापस ले ली है. साथ ही कहा कि उन्होंने सोमवार को कोलकाता को मुंबई से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-6 को भी खोल दिया है. 

अधिकारी ने बताया कि कुर्मी समुदाय ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेमासुली में सड़क नाकेबंदी को खोलने का फैसला किया है. समुदाय ने ये फैसला राज्य सरकार द्वारा ‘कुर्मी समाज पश्चिम बंगाल’ के पदाधिकारियों को एक पत्र भेजे जाने के बाद लिया है. इस पत्र में कुर्मी समुदाय के लोगों को 11 अप्रैल को दोपहर में एक बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है.

‘बंगाल कुर्मी समाज’ के अध्यक्ष राजेश महतो ने कहा कि 11 अप्रैल को राज्य सरकार के साथ बैठक निर्धारित की गई है, तब तक के लिए आंदोलन शांत रहेगा और यह ढील लागू रहेगी. उन्होंने कहा, 'हम मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने के लिए सहमत हैं और मुख्य सचिव के साथ हमारी बातचीत के समापन तक सड़क नाकेबंदी में ढील दी गई है. हम चर्चा के बाद अपने आंदोलन का रास्ता तय करेंगे.'

दक्षिण पूर्व रेलवे ने एक बयान में कहा कि आद्रा डिवीजन के कुस्तौर स्टेशन और खड़गपुर डिवीजन के खेमासुली स्टेशन पर 5 अप्रैल से जारी रेल नाकेबंदी को हटा लिया गया है. इस नाकेबंदी की वजह से 5 अप्रैल से करीब 500 एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया गया था. इससे हजारों यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.

कुर्मी समुदाय के लोग, अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दिए जाने और कुर्माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मांग कर रहे हैं. उनका आंदोलन इसी मुद्दे पर आधारित है.

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