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चेन्नईः सरकार की सख्ती के बावजूद रैगिंग के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. तमिलनाडू के सलेम जिले स्थित गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज के सेकेंड ईयर के MBBS छात्र ने रैगिंग से परेशान होकर खुदकुशी करने की कोशिश की है.
पीड़ित छात्र का आरोप है कि सीनियर छात्रों ने उसकी रैगिंग की, इस वजह से उसने सुसाइड करने का फैसला किया था. मेडिकल स्टूडेंट ने जिन चार सीनियर्स के खिलाफ शिकायत दी थी उसके आधार पर पुलिस जांच कर रही है.
नेशनल हेराल्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक, शिकायत करने वाला स्टूडेंट बीते रविवार को हॉस्टल के कमरे में बेहोशी की हालत में मिला था. इसके बाद साथी छात्रों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है. पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आत्महत्या के प्रयास के पीछे की वजह रैगिंग हो सकती है.
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इस मामले में धर्मपुरी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर अमुधवल्ली का कहना है कि सुसाइड की कोशिश करने वाला छात्र नमक्कल जिले के रासिपुरम इलाके का रहने वाला है. जिसने कुछ हफ्ते पहले रैगिंग को लेकर शिकायत दी थी. जिसकी जानकारी छात्र के अभिभावकों को देते हुए मामले की जांच भी शुरू की गी थी, लेकिन बाद में उस छात्र ने शिकायत वापस ले ली थी.
वहीं कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि छात्र शिकायत वापस लेने के बाद डिप्रेशन में चले गया था. ऐसे में उसकी काउंसलिंग की जा रही थी.
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अबतक FIR नहीं
पुलिस के मुताबिक फिलहाल इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन मामले की हर पहलुओं के साथ जांच की जा रही है. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि कैंपस में रैगिंग पर बैन है. आरोपी सीनियर छात्रों पर किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले बाकी छात्रों, अभिभावकों और टीचर्स के बयान लिये जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि तमिलनाडू के कई कॉलेजों में रैगिंग की होने वाली घटनाओं के बावजूद कॉलेज प्रबंधन पीड़ित का किसी भी तरह का सहयोग नहीं करते हैं, क्योंकि उनको बदनामी का डर होता है.
मदुरैई के साइक्लोजिस्ट और काउंसलर हकीब खान राठेर का कहना है कि ऐसे कॉलेज प्रबंधन पर जरूर कार्रवाई होनी चाहिए, जो बदनामी के डर से रैगिंग के मामलों में कोई शिकायत दर्ज नहीं करते हैं.
फर्स्ट और सैकेंड ईयर के छात्रों की सेफ्टी कॉलेज के नाम से कहीं ज्यादा जरूरी है. ऐसे मामलों में तमिलनाडू सरकार की व्यवस्था में भी काफी कमी है, जो कॉलेज परिसर में रैंगिग की घटनाओं को अंजाम देने वाले आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है.
सरकार को ऐसी घटनाओं पर संज्ञान लेने की जरूरत है, वरना कई होनहार निर्दोष छात्र जिंदगी गंवा देंगे या मानसिक परेशानी के साथ जीने को मजबूर होंगे.