Morena madhya pradesh: मिराज-2000 लड़ाकू विमान कई बार दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं. इन विमानों का इस्तेमाल बालाकोट स्ट्राइक और कारगिल युद्ध में भी किया जा चुका है.
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Mirage 2000 characteristics: मध्य प्रदेश के मुरैना के पास सुखोई-30 और मिराज 2000 दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं. इन विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी. ये कोइ पहला मामला नहीं है जब ये विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है. इससे पहले भी कई बार इस लड़ाकू विमान के एक्सीडेंट हो चुके हैं. आपको बता दें कि बालाकोट एयर स्ट्राइक और करगिल के युद्ध में इन विमानों का इस्तेमाल किया जा चुका है. इन दुर्घटना के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे पायलट के द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं करना या मिस्ड अप्रोच की वजह से खराब मौसम भी इसकी वजह हो सकता है. इसके अलावा प्लेन में भी कोई तकनीकि खराबी हो सकती है.
बालाकोट स्ट्राइक में हुआ था इस्तेमाल
भारतीय वायुसेना के पास बहुत पहले से ही मिराज लड़ाकू विमान बड़ी संख्या में हैं. इनकी ताकत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि भारत ने पाकिस्तान पर 26 फरवरी 2019 को जब बालाकोट स्ट्राइक की थी. उस समय 12 मिराज 2000 जेट्स का इस्तेमाल किया गया था. उस दौरान ये विमान पाकिस्तान में घुसे थे और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर को ध्वस्त भी किया था. इस स्ट्राइक में मिराज का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि ये लड़ाकू विमान 70 किलोमीटर की दूरी तक मार करने की क्षमता रखते हैं.
ये हैं मिराज-2000 की खासियत
मिराज-2000 को भी फ्रांस की डासो एविएशन कंपनी ने ही बनाया है. ये एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है. करगिल के युद्ध में इन विमानों ने अहम भूमिका निभाई थी. इसका वजन 7,500 किलो और लंबाई 47 फीट है. इसमें 2,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने की क्षमता है. भारत ने इन विमानों को पहली बार 80 के दशक में खरीदने का ऑर्डर दिया था. इस विमान का इस्तेमाल सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि नौ देशों कर रहे हैं.
छोटे रनवे में है फायदेमंद
छोटे रनवे के लिए ये विमान बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. कुछ विमान को टेकऑफ और लैंडिंग के लिए लंबा रनवे लगता है, लेकिन इसके लिए महज 400 मीटर का रनवे ही काफी होता है. ये लड़ाकू विमान हवा में भी दुश्मन का मुकाबला कर सकता है.
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