Modi Govt 3.0: विरोध या दबाव में कितनी झुकी मोदी 3.0 सरकार? आरक्षण-लेटरल एंट्री-वक्फ बोर्ड... किन मुद्दों पर पीछे किए कदम
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Modi Govt 3.0: विरोध या दबाव में कितनी झुकी मोदी 3.0 सरकार? आरक्षण-लेटरल एंट्री-वक्फ बोर्ड... किन मुद्दों पर पीछे किए कदम

Narendra Modi Government 3.0 U-Turns: यूपीएससी की लेटरल एंट्री नोटिफिकेशन के वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले ने विपक्ष को बड़ा सियासी मौका दे दिया है. प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर बोर्ड ने बिना आरक्षण वाले मंत्रालय के लिए जारी इस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया. इसके बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राजद नेता तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन के नेताओं ने क्रेडिट लेने की होड़ में एनडीए सरकार को झुकने वाला करार दिया.

Modi Govt 3.0: विरोध या दबाव में कितनी झुकी मोदी 3.0 सरकार? आरक्षण-लेटरल एंट्री-वक्फ बोर्ड... किन मुद्दों पर पीछे किए कदम

Modi Govt U-Turn On Bills: केंद्र सरकार ने हाल ही में यूपीएससी की लेटरल एंट्री नोटिफिकेशन की वापसी का फैसला लेकर विपक्ष को चौंका दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार सरकार तो बना ली, लेकिन पहले की तरह विधेयकों को पास करवाने पर लचीला रवैया अपनाया हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट कर, ‘एनडीए की गठबंधन वाली सरकार और बीजेपी की बहुमत वाली सरकार’ में अंतर बताया है. 

पीएम मोदी के बड़े फैसले, विपक्ष को सियासी हमले का मौका

पीएम मोदी के बड़े फैसले ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राजद नेता तेजस्वी यादव समेत विपक्षी इंडिया गठबंधन को सियासी हमला को बड़ा मौका दिया है. अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही मोदी सरकार ने यू-टर्न या कदम पीछे लेने का सिलसिला जारी रखा है.
आम लोगों की भावनाओं, विरोध- प्रदर्शन और साथियों के दबाव को देखते हुए कदम वापस लिया है. 

बीते दो कार्यकाल की तरह नहीं रहे मोदी सरकार 3.0 के तेवर

अपने पहले के दो कार्यकाल में पीएम मोदी ने कड़े फैसले लेने और उस पर अमल करने के फैसले में ज्यादातर बार सफल साबित हुए थे. दशकों बाद साल 2014 में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा सरकार सत्ता में आई थी. प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ भारतीय जनता पार्टी को रिकॉर्ड 282 सीटें मिलीं. बहुमत से 9 सीटें ज्यादा सीटें भाजपा को अकेले और एनडीए गठबंधन सहयोगियों को मिलाकर 336 सीट पर जीत मिली थी.

2014 और 2019 के मुकाबले 2024 में चुनावी नतीजे का असर

एनडीए की इस प्रचंड जीत के साथ नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए. मोदी लहर की इस कामयाबी के बाद लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक चलने की बात कही गई और 2014 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सीटों का आंकड़ा अकेले 303 तक पहुंच गया. एनडीए गठबंधन को  353 सीटें मिली थीं.  28वीं लोकसभा के गठन के लिए साल 2024 में हुए चुनाव में पीएम मोदी के इस करिश्मे में कमी आई और भाजपा 240 और एनडीए गठबंधन 292 सीटें जुटाकर सरकार में बनी रही.

आखिरी वक्त में फैसले बेझिझक वापस लेने या कैंची चलाने में तेजी

इस चुनावी नतीजे का असर 2024 में बनी एनडीए सरकार के फैसले पर लगातार दिखा है. विपक्ष की ताकत बढ़ने और एनडीए के साथियों के चलते मिली-जुली सरकार बनाने से बीते 10 साल की तरह पीएम मोदी इस बार उस तेवर में फैसले नहीं लेते. इसके कई उदाहरण सामने हैं. आइए, मोदी सरकार की तीसरे कार्यकाल के ऐसे कुछ बड़े और चर्चित फैसले के बारे में जानते हैं, जिन्हें आखिरी वक्त में वापस लेने या उन पर कैंची चलाने में कोई झिझक सामने नहीं आई.

मोदी सरकार ने वापस लिए ये महत्वपूर्ण फैसले और विधेयक

केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में लेटरल एंट्री और आरक्षण– संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के 45 पदों के लिए 17 अगस्त को लेटरल इंट्री का नोटिफिकेशन जारी किया था. इस पर विपक्ष ने आरक्षण के मुद्दे पर मोदी सरकार को जमकर घेरा. भाजपा की सहयोगी पार्टियों जदयू, एलजेपी रामविलास पासवान और जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने भी इसका विरोध किया. इसके बाद पीएम मोदी ने आदेश जारी कर इस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया.

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक - नरेंद्र मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल में संसद के मानसून सत्र में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक लेकर आई थी. सदन में जमकर हंगामे के साथ विपक्ष ने सरकार को लगातार घेरा. एनडीए सरकार चाहती तो इसको पास करा सकती थी, लेकिन इसे जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) को भेज दिया गया. सरकार के सहयोगियों ने भी इसपर एतराज जताया. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने यह मांग की थी.

एससी-एसटी श्रेणी की जातियों में उपवर्गीकरण का मामला- सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में राज्यों को एससी-एसटी श्रेणी की जातियों में उपवर्गीकरण का अधिकार दिया था. भारत बंद की चेतावनी, सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई दलों के एतराज वगैरह के बाद मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश के जरिए बदलने का फैसला किया. इसके पहले एनडीए के सहयोगी केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर करने की बात कही.

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ब्रॉडकास्ट बिल 2024 - केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले ही मानसून सत्र में इस विधेयक को पेश किया था. न केवल विपक्ष बल्कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने इस बिल को लेकर सरकार जमकर का विरोध किया. मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर विधेयक को वापस लेने और नए ड्राफ्ट के साथ लाने की जानकारी दी थी. 15 अक्टूबर तक आम लोगों से भी इसपर राय मांगे है.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस बिल - 23 जुलाई को बजट प्रस्ताव में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस बिल लेकर आईं थीं. सरकार ने इसमें कुछ ऐसे प्रावधान किए थे, जिससे कारोबारियों से लेकर आम आदमी भी सरकार से नाराज हो गए थ. चौतरफा आलोचना झेलने के बाद मोदी सरकार ने इसमें संशोधन कर जनता के पक्ष में कर दिया. 

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