प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में अपनी जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों और अनुभवों को साझा किया है.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में अपनी जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों और अनुभवों को साझा किया है. उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को लोकप्रिय फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बांबे (Humans of Bombay) के साथ साझा किया है. ये पेज उनके इंटरव्यू को 5 किश्तों में प्रकाशित कर रहा है. इस कड़ी में उसने इस बार तीसरी किस्त को साझा किया है. शुरुआती दो किस्तों में पीएम मोदी ने अपने बचपन, संघ के प्रति झुकाव और अपनी दो वर्ष की हिमालय यात्रा के बारे में बताया. तीसरी कड़ी में उन्होंने हिमालय से लौटने के बाद के अनुभवों को साझा किया है...इस कड़ी में तीसरी किस्त में पढि़ए पीएम मोदी की जुबानी, उनकी कहानी...
''हिमालय से वापस आने के बाद मुझे अपने बारे में यह यकीन हो गया था कि मैं अपना जीवन दूसरों की सेवा में लगाना चाहता हूं. लिहाजा लौटने के कुछ समय के भीतर ही मैं अहमदाबाद के लिए रवाना हो गया. इस तरह पहली बार मैं एक बड़े शहर में रहने के लिए गया, जहां की जीवन की गति बिल्कुल अलग थी. वहां पर मैंने यदाकदा अपने अंकल की कैंटीन में उनकी मदद करने से शुरुआत की.''
''अंत में, मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूर्णकालिक प्रचारक बन गया. वहां मुझे जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मिलने और बातचीत करने का अवसर मिला और इसके साथ विविध क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला. वहां हम सब बारी-बारी से आरएसएस कार्यालय को साफ रखते थे. साथियों के लिए चाय और खाना बनाते थे और बर्तनों को साफ करते थे.''
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि वह उस पड़ाव पर जीवन की कठोरताओं के बीच व्यस्त थे लेकिन इस बात के लिए भी स्पष्ट थे कि हिमालय से जो शांति का अनुभव लेकर लौटे हैं, उसको किसी भी सूरत में नहीं जाने देंगे. इस कारण जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए हर साल पांच दिन एकांतवास में जाने का निश्चय किया.
''कई लोगों को यह जानकारी नहीं थी कि मैं दीवाली के मौके पर 5 दिनों के लिए एकांतवास पर चला जाता हूं. ऐसे किसी जंगल में जहां केवल स्वच्छ जल के अतिरिक्त कोई आदमी नहीं होता था. मैं उन 5 दिनों के लिए खाने की पर्याप्त सामग्री पैक करके ले जाता था. वहां कोई रेडियो या अखबार नहीं होता था और उस दौरान कोई टीवी या इंटरनेट नहीं था.'' इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि वह एकांतवास उनको जीवन को हैंडल करने की ताकत देता था. उन्होंने कहा कि लोग कहते थे कि आप किससे मिलने जाते हो? तो मैं कहता था कि मैं अपने आप से मिलने जाता हूं.
इस कड़ी में पीएम मोदी ने 'युवा दोस्तों' को सलाह भी दी. उन्होंने कहा, '' अपने जीवन की तेज गति और व्यस्त कार्यक्रम के बीच कुछ समय अपने लिए निकालें...खुद के बारे में सोंचें और आत्ममंथन करें. इससे आपका दृष्टिकोण बदलेगा...आप अपनी अंतरात्मा को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.''