पिछले 200 वर्षों में चीन की नौसेना जैसा तेज विकास किसी देश की नेवी का नहीं हुआ : नौसेना प्रमुख
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पिछले 200 वर्षों में चीन की नौसेना जैसा तेज विकास किसी देश की नेवी का नहीं हुआ : नौसेना प्रमुख

 नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने यह बयान हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर चिंता के बीच आया है.

नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने  हर समय हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में छह से आठ चीनी नौसैनिक जहाज मौजूद रहते हैं.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने बुधवार को कहा कि चीन ने अपनी नौसैनिक क्षमता को बढ़ाने के लिए पिछले पांच वर्षों में 80 नए नौसैनिक जहाज शामिल किए हैं और चीनी नौसेना यहां लंबे समय तक टिकी रहेगी. उनका यह बयान हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर चिंता के बीच आया है.

एडमिरल लांबा ने अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष नौसेना अधिकारियों के साथ ‘रायसीना डायलॉग’ में हिस्सा लेते हुए कहा कि पिछले 200 वर्षों में किसी भी देश की नौसेना का उतनी तेजी से विकास नहीं हुआ है जितनी तेजी से चीनी नौसेना का.

'वे अपनी सैन्य क्षमता के लिए काफी धन खर्च कर रहे हैं' 
एडमिरल लांबा ने कहा,‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अपनी सैन्य क्षमता, अपने बलों के आधुनिकीकरण और अपने कमान के ढांचे के आधुनिकीकरण पर काफी धन खर्च कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा,‘चीनी नौसेना एक ताकत है और यह ताकत लंबे समय तक यहां रहेगी.’ उन्होंने कहा कि 2008 से समुद्री लूट (पाइरेसी) से रक्षा करने वाले बल के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की स्थायी मौजूदगी है.

भारतीय नौसेना प्रमुख ने कहा कि हर समय हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में छह से आठ चीनी नौसैनिक जहाज मौजूद रहते हैं. उन्होंने कहा,‘दो साल पहले उन्होंने जिबूती में अपना पहला विदेशी अड्डा स्थापित किया. इस तैनाती का घोषित लक्ष्य उनके व्यापार की रक्षा करना है. उन्होंने समुद्री लूट के खिलाफ अभियान के लिये अपनी पनडुब्बियां तैनात की हैं, जिनका इस तरह की भूमिका के लिये इस्तेमाल नहीं किया जाता है.’

अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल फिलिप एस डेविडसन ने कहा कि इस कमान का नाम बदलकर इंडो-पैसिफिक इसलिए रखा गया क्योंकि यह आर्थिक और सैन्य हकीकत में बदलाव को प्रतिबिंबित करता है.

अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान की ‘क्वाड’ के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत नीति घेरने की नीति नहीं है. इस ‘क्वाड’ को चीन को घेरने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. एडमिरल डेविडसन ने कहा, ‘‘हम लोगों से हममें और चीन के बीच से किसी एक को चुनने को नहीं कह रहे हैं.’’ 

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बारे में पूछे गए एक सवाल पर फ्रांसीसी नौसेना के प्रमुख एडमिरल क्रिस्टोफ प्राजुक ने कहा,‘हम महासागर के सामरिक परिदृश्य में बदलाव को देख रहे हैं और उसपर नजर रख रहे हैं.’

जापान के आत्म रक्षा बल के चीफ ऑफ स्टाफ, ज्वाइंट स्टाफ एडमिरल कात्सुतोशी कावानो ने कहा कि जापान का पूर्वी चीन सागर में और खासतौर पर सेनकाकू द्वीप में चीन के साथ गंभीर टकराव है. उन्होंने कहा,‘मुझे स्वीकार करना होगा कि क्षेत्र में चीनी वायु सेना और नौसेना की गतिविधियां बढ़ गई हैं.’ उन्होंने कहा,‘हालांकि, हमने (चीन और जापान) समुद्री और हवाई संचार ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है. हम रक्षा मंत्रियों की यात्रा का इंतजार कर रहे हैं.’

(इनपुट - भाषा)

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