भारत-नेपाल (India-Nepal) के रिश्ते सदियों पुराने हैं. कड़वाहट भरे दौर के बाद नए साल में नेपाल का क्या नजरिया है. एशिया महाद्वीप की भू-राजनैतिक स्थिति क्या है.
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नई दिल्ली: भारत-नेपाल (India-Nepal) के रिश्ते सदियों पुराने हैं. कड़वाहट भरे दौर के बाद नए साल में नेपाल का क्या नजरिया है. एशिया महाद्वीप की भू-राजनैतिक स्थिति क्या है. ऐसे कई महत्वपूर्ण सवालों को लेकर ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) के साथ Exclusive इंटरव्यू में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Nepal PM KP Sharma Oli) ने खुलकर अपने मन की बात की.
भारत की परंपरा, संस्कृति और अखंड भारत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में नेपाल के प्रधानमंत्री ने विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, 'बीते हजारों सालों में खासकर भारत की सीमाओं को लेकर मेरा कोई पूर्वाग्रह नहीं है. इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए. हमारे लिए पवित्र रामभूमि यानी राम की जन्मभूमि असल में जो है वही पवित्र है. उसी मिट्टी को सिर में लगाने से मतलब होगा, किसी दूसरी जगह को जन्मभूमि कहकर मिट्टी लगाने से कोई फायदा नहीं है.
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नेपाल के पीएम ओली के मुताबिक, 'त्रेता युग में भी कई देश थे. द्वापर युग में कई देश थे. जहां विराट राजा का विराट दरबार था. हस्तिनापुर था, द्वारका थी, गोपालों का राज था वहां यदुवंश का राज था. हस्तिनापुर में दूसरे का राज था. दूसरी जगह दूसरे का था ऐसे बहुत राज्य थे, राज्य बनते थे, टूटते थे, जीता जाता था, हारा जाता था. तत्कालीन भारत वर्ष में बहुत बड़ा क्षेत्र शामिल था. हिमगत खंड के अंदर भारतवर्ष था, साउथ एशिया को भारतवर्ष कहा जाता था, इसका नामकरण पूरे रीजन के साथ था. जैसे अभी 7-8 देश नहीं, तब हजारों देश थे. आपको ये भी पता होगा कि 506 देश थे, राजे-रजवाड़ों थे, जब भारत में ब्रिटिश आए थे.'
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चीन (China) के बारे में सवाल पूछे जाने पर ओली ने कहा, ' चीन के बारे में इंडिया की अलग रीडिंग और फीलिंग है, उस पर सहमति,असहमति को लेकर हमे कुछ बताने की जरूरी नहीं है. हम जब भारत के बारे में बातचीत कर रहे हैं. भारत की कई भाषाएं हमारे से मिलती जुलती हैं. मैं हिंदी में बोल रहा हूं. हमारे यहां बहुत सारे लोग हिंदी ही नहीं, नेपाली भी नहीं समझते. क्योंकि यहां कई भाषा भाषी हैं. एक चीज आपको जरूर समझनी चाहिए और वो है हमारा नजरिया क्या है? हमारी कोसी नदी है, गंडक नदी है और करनाली नदी है जो भारत में जाती है. उन नदियों की मछली को क्या बॉर्डर पता चलता है, हमारे बॉर्डर में जो चिड़िया-पक्षी हैं वो इधर से उधर जाते हैं. एक गांव से दूसरे गांव जाते हैं इनको बॉर्डर का पता नहीं चलता.
नेपाल के प्रधानमंत्री ने सीमा और नक्शे के जिक्र पर कहा कि पक्षियों को नक्शा दिखाने का जरूरत नहीं है. नक्शा आपको-हमको देखना होगा, कि असलियत क्या है, अब इसमें हमको ये चाहिए कि हम सच्चाई को कबूल करें, तथ्यों को मानें और एक दूसरे की भावनाओं को समझें. ये भी जरूरी है भावनाएं आधारहीन न हों, सच्चाई पर आधारित, तथ्यों पर आधारित, प्रमाणों पर आधारित हों सभी को एक समग्र रूप में समझना चाहिए. हर देश अपना नक्शा छापते हैं. जिसे वो अपना क्षेत्र (Territory) मानते हैं उसे नक्शे में रखते हैं, भले ही उस पर विवाद हो. वहीं जिस दिन उस विवाद का निपटारा हो जाएगा, एक ही प्रकार का नक्शा बनेगा.
इस जवाब के बाद ज़ी न्यूज़ (Zee News) के एडिटर इन चीफ ने पूछा कि अगर चीन ने ऐसा किया होता तो आप चीन के साथ भी ऐसा ही करते, इसके जवाब में ओली ने कहा, 'हम संप्रभुता की क्षेत्रीय अखंडता के सवाल पर किसी को कम या किसी को ज्यादा नहीं मानते. अगर किसी ने कहीं दावा जताया ये उसका विषय है. किसी ने गलत किया तो सचमुच गलत है. ये हमारा इंसाफ नहीं है. हम हर किसी के साथ समान व्यवहार करेंगे.