भारतीय वायुसेना की पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना (Gunjan Sexena ने कहा कि कारगिल युद्ध में वायुसेना ने उन्हें देश की सेवा करने का अवसर दिया और वह इन अवसरों के लिए हमेशा आभारी रहेंगी.
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नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना की पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना (Gunjan Sexena) ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में बताया कि वायुसेना में लिंग के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया है. गुंजन सक्सेना ने केंद्र द्वारा दायर एक मुकदमे में अपने हलफनामे में ये बात कही. उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में वायुसेना ने उन्हें देश की सेवा करने का अवसर दिया और वह इन अवसरों के लिए हमेशा आभारी रहेंगी.
फिल्म गुंजन सक्सेना के निर्माताओं पर है केस
यह केस केंद्र ने नेटफ्लिक्स, धर्मा प्रोडक्शंस और अन्य लोगों के खिलाफ फिल्म 'गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल' (Gunjan Saxena: The Kargil Girl) को बिना किसी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) के जारी करने से स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करने के लिए दाखिल किया है. केंद्र के अनुसार, नेटफ्लिक्स पर जो फिल्म चल रही थी, उसमें इंडियन एयरफोर्स को गलत तरीके से दिखाया गया है. फिल्म में इसकी छवि को धूमिल किया गया है, क्योंकि यहां दिखाया गया है कि फोर्स लिंग पक्षपाती है, जो सही नहीं है.
गुंजन सक्सेना ने हलफनामें कही ये बातें
गुंजन सक्सेना ने न्यायमूर्ति राजीव शकधर के सामने दायर अपने हलफनामे में स्पष्ट किया कि फिल्म केवल एक वृत्तचित्र नहीं है, बल्कि उनके जीवन से प्रेरित है. यह फिल्म की शुरुआत में रखे गए दो अस्वीकरणों से स्पष्ट है जो युवा महिलाओं को एयरफोर्स में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का संदेश देती है.
उन्होंने अपने वकील आदिय दीवान के माध्यम से कहा "डिपेंडर (सक्सेना) यह दावा नहीं करता है कि फिल्म में जो कुछ दिखाया गया है, वह उसके वास्तविक जीवन में उसके साथ हुआ है. हालांकि, प्रतिनियुक्त का मानना है कि फिल्म के माध्यम से संदेश देने की मांग की गई है जो युवा महिलाओं को भारतीय में शामिल होने के लिए प्रेरित करे. वायुसेना और, एक व्यापक कैनवास पर, इसका उद्देश्य युवा महिलाओं को अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है, न कि खुद पर संदेह करना और अपने लक्ष्यों के लिए कड़ी मेहनत करना है."
हाई कोर्ट ने रिलीज पर रोक लगाने से किया इनकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म 'गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल' को थिएटरों में रिलीज करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और केंद्र से कहा कि वह निर्माता और निर्देशक से बात कर फिल्म के विषय संबंधी मुद्दों का समाधान करे. बता दें कि फिल्म 12 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी और इसके थिएटरों में रिलीज होने की संभावना है, जो कोरोना वायरस के कारण करीब 7 महीने से बंद थे और 15 अक्टूबर से खुल गए हैं.
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कोर्ट ने वकीलों से कहा बात कर निकालें मुद्दे का हल
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा कि वह धर्मा प्रोडक्शन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, निर्देशक करण जौहर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर तथा नेटफ्लिक्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल सहित दूसरे पक्षों के वकीलों के साथ बैठें और मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करें.
कोर्ट ने केंद्र से की विवादित क्लिप की मांग
कोर्ट ने फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने की केंद्र की याचिका पर आदेश देने से इनकार कर दिया और कहा कि जो लोग फिल्म देखना चाहते थे, वे पहले ही इसे ओटीटी मंच पर देख चुके हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह फिल्म के उन दृश्यों की क्लिप प्रस्तुत करे, जिनपर उसे समस्या है. अदालत अब इस मामले पर अगले साल 18 जनवरी को सुनवाई करेगी.