निर्भया केस: क्या 1 फरवरी को भी चारों दोषियों को दी जा सकेगी फांसी?
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निर्भया केस: क्या 1 फरवरी को भी चारों दोषियों को दी जा सकेगी फांसी?

निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को नया डेथ वारंट जारी कर दिया.

निर्भया केस: क्या 1 फरवरी को भी चारों दोषियों को दी जा सकेगी फांसी?

नई दिल्‍ली: निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को नया डेथ वारंट जारी कर दिया. अब चारों दोषियों को 22 जनवरी को नहीं बल्कि 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी. ऐसे में क्या सच में 1 फरवरी को चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया जा सकेगा क्योंकि अभी भी कई कानूनी पेंच बाकी है. सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक दया याचिका खारिज होने के 14 दिन के भीतर दोषी को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था 2014 में शत्रुघ्न चौहान केस में दी थी.

निर्भया के चारों हत्यारों को फांसी की सजा मिली हुई है, अभी केवल एक हत्यारे मुकेश की दया याचिका खारिज हुई है, अभी तीन हत्यारों ने दया याचिका दायर भी नहीं की है. लेकिन यह भी तय है कि इन तीनों की तरफ से दया याचिका दायर होगी और जब तक इनकी दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, मुकेश को भी फांसी नहीं हो सकती क्योंकि चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जाएगी.

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एक साथ फांसी देने की व्यवस्था के बारे में कानून स्पष्ट नहीं है, लेकिन पिछले दिनों में जितनी फांसी हुई है, एक अपराध के दोषी को एक साथ ही फांसी दी गई है. इसके पीछे 1982 का एक केस है.

उत्तर प्रदेश के चार लोगों की हत्या के एक मामले में में ट्रायल कोर्ट से तीन लोगों को फांसी की सजा हुई. एक-एक कर तीनों का मामला सुप्रीम कोर्ट आया. एक दोषी को फांसी दे दी गई. दूसरे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदल दी. तीसरे हरवंश सिंह की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई. पुनर्विचार याचिका खारिज हो गई. हरवंश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई. राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दी. हरवंश ने फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और दलील दी कि एक ही मामला, एक ही अपराध, एक एक आदमी को फांसी पर लटका दिया गया. एक की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दी. तो उसे क्यों फांसी दी जा रही है? कोर्ट को अहसास हुआ कि गड़बड़ी तो हुई है.

हरवंश सिंह की फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदल दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दिया कि किसी दोषी को फांसी पर लटकाने से पहले जेल सुपरिटेंडेंट को यह सुनिश्चित करना होगा कि उस मामले में सह आरोपी की फांसी की सजा कहीं आजीवन कारावास में बदली तो नहीं गई और अगर ऐसा हुआ है तो यह बात तत्काल संबंधित कोर्ट के संज्ञान में लाई जानी चाहिए. इसी में यह बात भी छुपी हुई है कि जब तक सभी आरोपियों की सभी याचिकाओं पर फैसला नहीं हो जाये, किसी एक को फांसी पर नहीं लटकाया जाना चाहिए.

 

 

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