नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने कहा कि भारत के संदर्भ में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है. इसकी वजह यह है कि हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है. सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.
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नई दिल्ली: नीति आयोग (Niti Aayog) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत (Amitabh Kant) लोकतंत्र पर दिए अपने बयान को लेकर घिर गए हैं. उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है और Too Much Democracy ट्रेंड कर रहा है. कांत ने मंगलवार को कहा था कि भारत में कुछ ज्यादा ही लोकतंत्र है, जिसके कारण यहां कड़े सुधारों को लागू करना कठिन हो जाता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि देश को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए और बड़े सुधारों की जरूरत है.
एक कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए संबोधित करते हुए अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने कहा था कि पहली बार केंद्र सरकार ने खनन, कोयला, श्रम, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में कड़े सुधारों को आगे बढ़ाया है. अब राज्यों को सुधारों के अगले चरण को आगे बढ़ाना चाहिए. उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, ‘भारत के संदर्भ में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है. इसकी वजह यह है कि हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है. इन सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है और अभी भी कई सुधार हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है’.
HT se tweet toh delete karwa diya par Swarajya channel se video delete karwana bhool gaye pic.twitter.com/03Kjvk4BYq
— Kapil (@kapsology) December 8, 2020
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Modi सरकार की तारीफ
नीति आयोग (Niti Aayog) के CEO ने कहा कि मोदी सरकार ने कड़े सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखायी है. कड़े सुधारों के बिना चीन (China) से प्रतिस्पर्धा करना आसान नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगले दौर के सुधार में अब राज्यों को आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यदि 10-12 राज्य उच्च दर से वृद्धि करेंगे, तो भारत भी उच्च दर से विकास करेगा. हमने केंद्र शासित प्रदेशों से वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए कहा है. वितरण कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी होना चाहिए और सस्ती बिजली उपलब्ध करानी चाहिए’.
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किसान आंदोलन से जुड़े सवाल के जवाब में कांत ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार की जरूरत है. हमें यह समझना होगा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था बनी रहेगी, मंडियों में जैसे काम होता है, वैसे ही होता रहेगा. किसानों के पास अपनी पसंद के हिसाब से उपज बेचने का विकल्प होना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें लाभ होगा. मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में CEO ने कहा कि यह खुद में सिमटने की बात नहीं है बल्कि भारतीय कंपनियों की क्षमता, संभावनों को बाहर लाने के लिए है. कांत ने कहा कि सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के लिए 10 क्षेत्रों की पहचान की है. ये क्षेत्र भारत को विनर्माण केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे.