Nitin Gadkari: 'चुनाव में लोगों के घर पहुंचाया था मटन लेकिन फिर भी...', नितिन गडकरी ने सुनाया किस्सा
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Nitin Gadkari: 'चुनाव में लोगों के घर पहुंचाया था मटन लेकिन फिर भी...', नितिन गडकरी ने सुनाया किस्सा

Nitin Gadkari on Election: गडकरी ने कहा कि लोग बहुत तेज हैं. वह कहते हैं कि जो दे रहा है, वह खा लो. अपने ही बाप का माल है. लेकिन वोट उसे ही देते हैं, जिसको उन्हें देना होता है. जब आप लोगों के बीच भरोसा पैदा करते हो तो वह आप पर भरोसा करते हैं.

Nitin Gadkari: 'चुनाव में लोगों के घर पहुंचाया था मटन लेकिन फिर भी...', नितिन गडकरी ने सुनाया किस्सा

Election 2024: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय संभालने वाले नितिन गडकरी अपने मुखर अंदाज के लिए मशहूर हैं.एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने बताया  कि कैसे एक-एक किलो मटन बांटने के बाद भी उनको चुनाव में शिकस्त मिली थी. गडकरी ने कहा, वोटर जागरुक है, वह माल सबका खाते हैं. लेकिन उसे ही वोट देते हैं, जिसको चाहते हैं.

महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पहुंचे थे. गडकरी ने कहा, मेरा इस बात पर विश्वास नहीं है कि लोग चुनावों में पोस्टर लगाकर खिला-पिलाकर जीत जाते हैं. मैं कई चुनाव लड़ चुका हूं. सारे एक्सपेरिमेंट कर चुका हूं.मैंने एक बार एक्सपेरिमेंट किया था, जिसमें एक-एक किलो सावजी मटन लोगों के घरों में पहुंचाया था. लेकिन फिर भी मैं चुनाव हार गया था. 

'वोटर्स के बीच विश्वास पैदा करना जरूरी'

बयान में गडकरी ने कहा कि लोग बहुत तेज हैं. वह कहते हैं कि जो दे रहा है, वह खा लो. अपने ही बाप का माल है. लेकिन वोट उसे ही देते हैं, जिसको उन्हें देना होता है. जब आप लोगों के बीच भरोसा पैदा करते हो तो वह आप पर भरोसा करते हैं. तब आपको कोई पोस्टर या बैनर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती. ये मतदाता किसी लालच में भी नहीं पड़ते. क्योंकि उनको आप पर भरोसा होता है और यह लंबी अवधि के लिए होता है, छोटी के लिए नहीं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, कोई चुनाव मटन की पार्टी या फिर होर्डिंग्स लगा देने से नहीं जीता जा सकता. जनता के बीच आपको भरोसा और प्यार बनाना होगा.  जनता को किसी तरह का लोभ देने के बजाय आपको उनके बीच विश्वास और प्यार पैदा करना होगा. 

'इससे देश नहीं बदलेगा'

गडकरी ने कहा, लोग अकसर कहते हैं कि हमें सांसदी का टिकट दे दो. वह नहीं तो विधायक का टिकट दे दो.  नहीं तो एमएलसी या फिर आयोग का टिकट दे दो. इतना भी नहीं तो मेडिकल कॉलेज दे दो. वह भी नहीं तो  इंजीनियरिंग या B.Ed कॉलेज दे दो. यह भी नहीं तो प्राइमरी स्कूल दे दो, ताकि मास्टर की आधी सैलरी मिल जाए. मगर इससे देश नहीं बदलेगा.

 

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