Trending Photos
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से लद्दाख के बीच बन रही जोजिला टनल (Zojila Tunnel) का काम साल 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले पूरा हो जाएगा और यह इतनी ऊंचाई पर बनने वाली एशिया सबसे लंबी टनल होगी. इस टनल के बनने के बाद श्रीनगर से लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी 12 महीने रहेगी, जो भारी बर्फबारी की वजह से 6 महीने तक बंद रहता है. इसके साथ ही जोजिला दर्रे को पार करने में लगने वाला साढ़े 3 घंटे का सफर सिर्फ 15 मिनट में ही पूरा हो जाएगा.
कश्मीर घाटी में हिमालय की पर्वत श्रेणियों के बीच तैयार हो रही यह जोजिला टनल (Zojila Tunnel) है. इस टनल का निर्माण कार्य साल 2020 में शुरू हुआ था. कश्मीर घाटी और लेह-लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी के लिहाज से जरूरी है. 14.5 किलोमीटर लंबी जोजिला सुरंग भारत-चीन सीमा पर आवाजाही के लिहाज से जोजिला टनल बेहद महत्वपूर्ण है.
अभी श्रीनगर और लेह लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी के लिए जोजिला दर्रा के पास से एक ही रास्ता है, लेकिन यह रास्ता पूरे साल खुला नहीं रहता. सर्दियों में बर्फबारी के चलते 5 से 6 महीने तक श्रीनगर और लेह लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी पूरी तरह से टूट जाती है. यही वजह है कि जोजिला टनल (Zojila Tunnel) तैयार होने से सर्दियों में भी श्रीनगर और लेह लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी बनी रहेगी. इसके साथ ही दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रीनगर और लेह के बीच ना सिर्फ दूरी कम हो जाएगी, बल्कि 3 घंटे कम समय भी लगेगा. श्रीनगर से लेह के बीच नेशनल हाईवे नंबर 1 डी पर जोजिला टनल का निर्माण कार्य किया जा रहा है. इससे पाकिस्तान और चीन बॉर्डर तक सेना और रक्षा सामान की आवाजाही आसान हो जाएगी. यहीं कारण है कि केंद्र सरकार का फोकस इस टनल के निर्माण कार्य जल्द पूरा करने पर है.
जोजिला टनल (Zojila Tunnel) समुद्र तल से 11 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर बनने वाली एशिया की सबसे लंबी सुरंग है. फिलहाल सिंगल ट्यूब है, जिसे डबल करने की योजना है. प्रोजेक्ट 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, हालांकि टनल का निरीक्षण करने पहुंचे परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने दावा किया कि साल 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के पहले यह टनल तैयार कर ली जाएगी.
जोजिला टनल (Zojila Tunnel) को बनाने में स्टेट ऑफ आर्ट तकनीक का उपयोग किया गया है. सुरंग में हीट डिटेक्शन सिस्टम, सीसीटीवी, एलईडी स्क्रीन और लाइटिंग होगी. यदि किसी गाड़ी में टनल के बीच आग लग जाती है तो आधुनिक हीट डिटेक्शन सिस्टम खुद ही डिटेक्ट करेगी और उसके बाद इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम गाड़ी का रेस्क्यू करेगी. हिमालय की पर्वत श्रेणियों में इतनी ऊंचाई पर इस तरह की टनल बनाना बेहद चुनौती भरा काम था. कई देशों के अध्ययन के बाद इस तकनीक को चुना गया. इसमें स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और कई देशों के तकनीक का अध्ययन करके किया गया है.
पूरे जम्मू-कश्मीर में इस समय केंद्र सरकार की तरफ से दो लाख करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट पर काम तेजी से चल रहा है, जिसमें घाटी के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने वाली टनल और सड़कों का निर्माण कार्य किया जा रहा है. परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के मुताबिक इस इलाके में टनल बनने से लगभग तीन से चार हजार लोगों के रोजगार मिला है. श्रीनगर से लेह के बीच की 10 हजार करोड़ की अलग-अलग टनल का निर्माण हो रहा है.
लाइव टीवी