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नई दिल्ली: अभी पूरा हिंदुस्तान कोरोना (Coronavirus) से लड़ रहा है. भारत को जीतना है, कोरोना को हराना है, लेकिन हमारे ही बीच के कुछ लोगों की वजह से ये लड़ाई कमज़ोर हो जा रही है. चाहे वो पिछले साल का दीपावली सीज़न हो, इस साल की होली का त्योहार और कुंभ का पर्व हो. लोगों ने ग़ैर ज़िम्मेदारी दिखाई और देखिये कोरोना कहां से कहां फैल गया. अब देखिये, ईद (Eid) का चांद दिख गया है, लेकिन ईद से पहले खरीदारी की जो तस्वीर (Eid Shopping) आएगी उसे देखकर रूह कांप रही है. देश भर के बाज़ारों में जिस तरह लोग ख़रीददारी के लिए उमड़े हैं, ऐसे में कोरोना का ग्राफ अगर बेकाबू हो गया तो क्या होगा, सोचा है? अरे जनाब, हम अपील करते हैं, अब भी मान जाइये, घरों में रहिये, खुशियां मनाइये, बधाइयां दीजिए, क्योंकि ज़िंदगी रहेगी तब तो ईद मनेगी ना. अगले साल भी तो ईद मनानी है.
जब कोरोना काल में सावधानी ही सबसे बड़ा धर्म और कर्म है, तब हैदराबाद में अपनी और दूसरों की जान दांव पर लगाकर भीड़ ईद की ख़रीददारी पर निकली है. 'सोच से संक्रमित' ये लोग कैसे भूल गए कि इस वक्त देश में महामारी से कैसे हाहाकार मचा है. दो गज़ की दूरी और सोशल डिस्टेंसिंग की दुश्मन भीड़ कैसे भूल गई कि ये ईद नहीं संक्रमण की शॉपिंग हो सकती है, जबकि धर्मगुरु समझा रहे हैं, घरों में रहकर त्योहार मनाएं.
धर्मगुरुओं की नसीहत पर संक्रमण की शॉपिंग करने वाली भीड़ की ज़िद भारी है. मुंबई के भिंडी बाज़ार में भी भीड़ कोरोना के वायरस को खुला न्योता दे रही है और दूसरे लोगों के लिए संक्रमण का ख़तरा भी. यही हाल उत्तर प्रदेश का भी है. यूपी के फिरोज़ाबाद में भी भीड़ की डरावनी तस्वीर दिखी और चंदौली समेत कई शहरों में भी. यूपी में लॉकडाउन (Lockdown) के वक्त सुबह 7 बजे से 11 बजे तक ज़रूरी चीजों की ख़रीद की छूट है. पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में तो दुकानदारों को फिक्र इस बात की है कि भीड़ कम क्यों है?
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यानी इस देश ने ना तो चुनावों से सबक लिया, ना कुंभ से और ना त्योहारों की भीड़ से. कोरोना के वक़्त में राजनीति और धर्म ने मिलकर देश का बेड़ागर्क कर दिया. देश में होली और चुनाव से पहले 1 मार्च 2021 को कोरोना संक्रमण के 12 हज़ार 286 नए केस मिले. 27 मार्च को बंगाल में पहले चरण का चुनाव और 29 मार्च को होली थी. रैलियों और ख़रीददारी के लिए भीड़ निकली और नतीजा ये कि 1 अप्रैल को कोरोना के 81,466 नए केस मिले. 1 अप्रैल से ही कुंभ शुरु हुआ, चुनावी रैलियां भी चलती रहीं और एक महीने 30 अप्रैल को देश में कोरोना के नए केस मिले 3 लाख 86 हज़ार 555.
चुनाव और कुंभ ख़त्म हुए तो अब देश में कोरोना संक्रमण बढ़ाने की ज़िम्मेदारी ईद की भीड़ ने ले ली. अस्पतालों में जगह नहीं है. मगर ईद की इस भीड़ को कोई मतलब नहीं. ऑक्सीजन की कमी से देश की सांसें उखड़ रही हैं, लेकिन इस भीड़ को कोई मतलब नहीं. इसीलिए ज़रूरी है कि पूरे देश में सख़्त लॉकडाउन हो, जैसे इस वक्त श्रीनगर में है. ईद के मौके पर बाज़ार सुनसान हैं. लोग घरों में हैं, क्योंकि पुलिस घर से बिना ज़रूरत निकलने वालों पर सख़्त कार्रवाई कर रही है.
लॉकडाउन की वजह से कोरोना की जो रफ्तार धीमी पड़ी है. आशंका है कि ईद की ये भीड़ फिर तेज कर सकती है. अब आपको ये समझना चाहिए कि धर्म और राजनीति की भीड़ ने मिलकर कैसे भारत का बेड़ागर्क करने की कोशिश की.
भारत में होली से पहले 28 मार्च को देश में 1 करोड़ 19 लाख 71 हज़ार 624 केस थे और होली के एक दिन बाद ही बाद 30 मार्च को कोरोना संक्रमण के 1 लाख 24 हज़ार 231 नए केस मिले. भारत में कुंभ की शुरुआत से पहले कोरोना संक्रमितों की संख्या थी 1 करोड़ 21 लाख 49 हज़ार 335 और 30 अप्रैल को जब कुंभ की समाप्ति हुई तब भारत में कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या थी 1 करोड़ 87 लाख 62 हज़ार 976. यानी कुंभ की शुरुआत और समाप्ति के बीच कोरोना संक्रमितों की संख्या 66 लाख 13 हज़ार 641 बढ़ गई.
26 फरवरी को जब देश में 5 राज्यों में चुनाव की डेटशीट का ऐलान हुआ, तब भारत में कुल मरीज़ों की संख्या थी 1 करोड़ 10 लाख 63 हज़ार 491 और जब 2 मई को चुनान नतीजे आए, तो भारत में नए कोरोना संक्रमितों की संख्या 84 लाख 93 हज़ार 966 बढ़ गई और देश में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या हो गई 1 करोड़ 95 लाख 57 हज़ार 457. तो सोचिए धर्म और राजनीति की भीड़ ने देश को किस तरह कोरोना संक्रमण की ओर ढकेल दिया.