अन्वय नाइक को सुसाइड के लिए अर्नब ने नहीं उकसाया, 2019 की क्लोजर रिपोर्ट से खुलासा
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अन्वय नाइक को सुसाइड के लिए अर्नब ने नहीं उकसाया, 2019 की क्लोजर रिपोर्ट से खुलासा

इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक (Anvay Naik) और उनकी मां की आत्महत्या मामले में दायर साल 2019 की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार अन्वय 6-7 साल से वित्तीय संकट में थे.

(फाइल फोटो)

मुंबई: रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को दो साल पुराने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक (Anvay Naik) और उनकी मां की आत्महत्या मामले में गिरफ्तार किया गया है. इस बीच इस केस से जुड़ी साल 2019 की क्लोजर रिपोर्ट सामने आई है, जो पुलिस की हालिया कार्रवाई को कठघरे में खड़ा करती है.

  1. 2019 की क्लोजर रिपोर्ट सामने आई है
  2. 6-7 साल से वित्तीय संकट में थे अन्वय नाइक
  3. सुसाइड नोट में लगाया था पैसे नहीं देने का आरोप
  4.  

6-7 साल से वित्तीय संकट में थे अन्वय नाइक
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इंस्पेक्टर सुरेश वरडे (Suresh Varade) द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि इस केस में अर्नब गोस्वामी के साथ गिरफ्तार किए गए अन्य दो लोगों से अन्वय नाइक (Anvay Naik) को पैसे लेने थे. इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई सबूत नहीं हैं और अन्वय नाइक ने अपनी जान ले ली, क्योंकि वह छह या सात साल से वित्तीय संकट में थे. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अन्वय ने पहले अपनी मां का गला घोंट दिया था और फिर अपनी जान दी थी.

सुसाइड नोट में क्या लगाए थे आरोप
अन्वय (Anvay Naik) ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि Icastx Technologies Private Limited के अर्नब गोस्वामी व फिरोज शेख और स्मार्टवर्क के नितेश सारदा पर उनका 5.4 करोड़ रुपये का बकाया है, जिस कारण उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. सुसाइड नोट सामने आने के बाद अलीबाग पुलिस ने तीनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया था.

काम पूरा नहीं करने के कारण था बकाया
पिछले साल अप्रैल में दायर की क्लोजर रिपोर्ट का आधार बनाकर पुलिस ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट के अनुसार, 'शेख और सारदा पर अन्वय (Anvay Naik) का बकाया था, लेकिन सभी बकाया कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा काम को अधूरा छोड़ने या खराब गुणवत्ता के कारण था.

अन्वय के परिवार ने जांच अधिकारी पर लगाया आरोप
अन्वय नाइक के परिवार ने आरोप लगाया है कि इंस्पेक्टर सुरेश वरडे ने मामले को  'अविश्वसनीय' बनाना चाहा और शिकायत वापस लेने के लिए उन्हें एक बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए धमकाया, ताकि केस को पिछले साल जनवरी में बंद किया जा सके. वरदे को अब विभागीय जांच का सामना करना पड़ रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या पीड़ित परिवार के दावे की सच्चाई क्या है?

अर्नब गोस्वामी ने मुंबई में दर्ज कराया था बयान
क्लोजर रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरेश वरडे ने गोस्वामी, शेख और सारदा को समन जारी किया था. शेख और सारदा अलीबाग पुलिस में उसके सामने पेश हुए थे, जबकि अर्नब गोस्वामी को मुंबई में बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था. नाइक परिवार ने आरोप लगाया है कि गोस्वामी को तरजीह देकर मुंबई के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के कार्यालय में बयान दर्ज कराया गया. वरदे की रिपोर्ट में यह उल्लेख नहीं किया गया है कि उनका बयान कहां दर्ज किया गया था.

'अर्नब गोस्वामी पर 83 लाख रुपये का बकाया'
अन्वय नाइक के सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि अर्नब गोस्वामी पर उनका 83 लाख रुपये का बकाया था. इस मामले में अर्नब गोस्वामी ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था कि निर्धारित समय के दौरान कार्यालय परिसर में काम पूरा नहीं हुआ था. इसके साथ ही गुणवत्ता असंतोषजनक थी और न्यूज रूम में पानी लीक हो रहा था. उन्होंने कहा था, 'मैं लेन-देन पर बारीकियों से नजर नहीं रख रहा था, मुझे लग रहा है कि 21 अक्टूबर, 2017 को हमने भुगतान किया था और 85 से 90 प्रतिशत भुगतान किया गया था. बाकी पेमेंट काम देखने के बाद किया जाना था.'

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