Noida Fraud Case: नोएडा में गरीबों को पैसे का लालच देकर उनका आधार कार्ड (Aadhaar Card) लिया जा रहा था. इसके बाद जालसाजों ने जीएसटी फ्रॉड करके 15 हजार करोड़ रुपये का घोटाला कर दिया.
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Noida Fake Registration Scam: फर्जी तरीके से कंपनियों का रजिस्ट्रेशन करवा कर 15 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के केस में नोएडा पुलिस ने 23 जून को 3 और जालसाजों को गिरफ्तार किया था. इनके पास से फर्जी टैक्स इनवाइस डॉक्यूमेंट्स, 6 जीएसटी फर्म के ऑनलाइन डॉक्यूमेंट, 3 मोबाइल फोन, ड्राइविंग लाइसेंस, 2 आधार कार्ड, पैन कार्ड, दो लग्जरी कार और 42 हजार रुपये कैश बरामद किए गए हैं. बीते 1 जून को नोएडा कमिश्नरेट पुलिस ने 2660 फेक कंपनी बनाकर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराकर 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का फ्रॉड करने वाले एक अंतरराज्यीय रैकेट का पर्दाफाश हो चुका था. इन जालसाज ने पिछले 5 साल से फेक फर्म बनाकर जीएसटी रिफंड आईटीसी (ITC) लेकर सरकार को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाया था. पुलिस ने इस ग्रुप में शामिल महिला सहित 8 जालसाज को अरेस्ट कर लिया था.
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
बता दें कि इस केस में नोएडा पुलिस के साथ स्टेट और सेंट्रल जीएसटी टीम भी इन्वेस्टिगेशन कर रही है. इन 8 आरोपियों के पकड़े जाने के बाद नोएडा पुलिस ने इस केस में 4 लोगों को एक बार और फिर 23 जून को 3 आरोपियों को अरेस्ट किया. नोएडा के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 (स्पेशल रिसर्च ब्रांच) स्टेट GST राजाराम गुप्ता ने बताया कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर ऐसा सिस्टम बनाया गया, जिसमें पहले पेमेंट किए गए GST के बदले में आपको क्रेडिट मिल जाते हैं. ये क्रेडिट आपके जीएसटी अकाउंट में दर्ज हो जाते हैं.
फर्जी बिल से करोड़ों का लेनदेन
उन्होंने कहा कि फर्जी कंपनियों द्वारा असली चीज का लेनदेन नहीं किया जाता है. बल्कि फर्जी बिल पर करोड़ों रुपये का लेनदेन दिखाया जाता है. सभी बिल फेक होते हैं. कंपनियां एक दूसरे से फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का ट्रांजेक्शन करती हैं. बिजनेस दिखाने वाली अंतिम फर्म सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड का दावा कर देती है. रिफंड के रूप में कंपनी के खाते में सरकार रुपये जमा कर देती हैं. इसमें कोई व्यापार नहीं हुआ जबकि सरकार से करोड़ों रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट के बदले लेकर कंपनी चूना लगाती हैं.
जालसाजों ने ऐसे किया फ्रॉड
जीएसटी कमिश्नर ने बताया कि जीएसटी फ्रॉड जो करता है वह बड़ी संख्या में झुग्गी झोपड़ी गरीब बस्तियों में रहने वाले गरीबों को किसी भी सरकारी योजना या अन्य किसी योजना के नाम पर कुछ पैसे उनके अकाउंट में डालकर उनका आधार कार्ड अपने कब्जे में ले लेता है. जब ये गरीबों को पैसे देते हैं तब उनसे उनके आधार नंबर से अपना मोबाइल नंबर लिंक करवा लेते हैं. इसके बाद तुरंत एक नया पैन कार्ड अप्लाई किया जाता है. और फिर उससे आधार और पैन कार्ड के नंबर पर फर्जी बोगस कंपनियां रजिस्टर्ड कराई जाती है. जो बाद में लोगों को जीएसटी बिल बनाने के नाम पर देने के काम आती है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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