कोरोना काल में Covid-19 संक्रमित मरीजों की देखभाल में तमाम मेडिकल फोर्स बिजी है ऐसे में गैर-कोविड मरीजों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. डॉक्टरों ने भी इस बाबत चिंता जताई है.
Trending Photos
नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर (Corona Second Wave) के दौरान दिल्ली में अस्पतालों पर बोझ बढ़ा हुआ है, जिसके चलते गैर-कोविड रोगियों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर और कान-नाक-गले से संबंधित गैर-कोविड रोगी लॉन्ग टर्म परेशानियों का सामना कर रहे हैं. महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर 19 अप्रैल से लागू पाबंदियों का माइग्रेंट वर्कर और गरीबों पर भी बुरा असर पड़ा है. गैर-कोविड मेडिकल सर्विसेज के बाधित होने से कई अन्य वर्गों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं.
इन मरीजों को ज्यादा दिक्कत
नामचीन सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि चूंकि ज्यादातर मेडिकल मशीनरी फिलहाल घातक Covid-19 से निपटने में लगी है और आवाजाही पर पाबंदी है, ऐसे में सर्जरी या कान, नाक, गला (ENT) का इलाज कराने वाले गैर-कोविड रोगियों और गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ईएनटी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुरेश सिंह नरुका ने कहा, 'गैर कोविड सर्विसेज व्यापक रूप से प्रभावित हुई हैं, लेकिन अस्पताल आपात स्थिति में ऐसे रोगियों के लिये सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रहा है.'
गैर-कोविड रोगियों के लिये मुश्किल समय
डॉ नरुका ने कहा, 'एक बार हमारे सामने एक केस आया था, जिसमें एक व्यक्ति ने बिजली का बल्ब निगल लिया था. उसकी जान बचाने के लिये हर सेकेंड कीमती था. लिहाजा, हमने तुरंत प्रक्रिया शुरू की और उसे बचा लिया गया.' हालांकि कैंसर रोगियों के लिये यह इंतजार किसी तकलीफ के समान साबित हो रहा है क्योंकि सर्जरी में देरी का मतलब है लंबा दर्द झेलना. नरुका ने कहा, 'मेरा एक रोगी था, जो कैंसर से पीड़ित था. अप्रैल में उसका ऑपरेशन होना था, लेकिन Covid-19 हालात और दिल्ली में लॉकडाउन के चलते उसकी सर्जरी एक महीना टल गई. नतीजतन, इस दौरान उसका कैंसर का स्तर बढ़ने से उसकी परेशानियां बढ़ गईं. गैर-कोविड रोगियों के लिये भी यह मुश्किल समय है.'
यह भी पढ़ें: स्वास्थ्य मंत्री ने रामदेव को लिखा पत्र, एलोपैथी वाले बयान पर जताई आपत्ति
धीरे-धीरे दूर हो रहीं परेशानियां
प्रसिद्ध डेंटिस्ट डॉक्टर अनिल कोहली ने कहा, 'हमें लोगों को सर्विसेज प्रदान करनी ही हैं और इसके लिये हमें नए हालात से सामंजस्य बिठाना होगा.' उन्होंने कहा, 'पिछले साल पहली लहर में हमें कुछ समझने का मौका नहीं मिला था और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ उन रोगियों में भी बहुत डर था, जो दांतों में असहनीय दर्द होने के बावजूद अपने घरों से बाहर निकलने में चिंतित महसूस कर रहे थे.' कोहली ने कहा कि हालांकि अब टीकाकरण प्रक्रिया जारी है और ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी टीका लगवा चुके हैं. लिहाजा वे भी सुरक्षित महसूस करते हुए सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. धीरे-धीरे गैर-कोविड रोगियों की परेशानियां दूर हो रही हैं.
LIVE TV