Chandrayaan 3 Mission: अब गोलाकार कक्षा में दाखिल होगा चंद्रयान-3, ISRO ने तैयारी की पूरी
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Chandrayaan 3 Mission: अब गोलाकार कक्षा में दाखिल होगा चंद्रयान-3, ISRO ने तैयारी की पूरी

Chandrayaan-3 in circular orbit:  पड़ाव दर पड़ाव पार करते हुए चंद्रयान-3 अब चांद के और करीब पहुंच चुका है. चांद की कक्षा में इलिप्टिकल पाथ पर चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान-3 गोलाकार कक्षा में दाखिल होने वाला है.

 Chandrayaan 3 Mission: अब गोलाकार कक्षा में दाखिल होगा चंद्रयान-3, ISRO ने तैयारी की पूरी

Chandrayaan 3 Mission:  चंद्रयान -3 मिशन ने एक मील का पत्थर हासिल कर लिया है क्योंकि इसने कक्षा गोलाकार चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है जो अपने लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. सावधानीपूर्वक  मैनूवर के बीच अंतरिक्ष यान 150 किमी x 177 किमी वाली गोलाकार कक्षा के करीब पहुंच गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने घोषणा की कि सटीकता और विशेषज्ञता के साथ आयोजित सटीक युद्धाभ्यास ने मिशन की समय-सीमा में अगले ऑपरेशन की नींव रखी है। आगामी ऑपरेशन 16 अगस्त, 2023 को सुबह लगभग 08:30 बजे निर्धारित है. इसरो के अनुसार जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3), एक भारी-लिफ्ट लॉन्च वाहन जिसने चंद्रयान -3 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था.  6 अगस्त को एक योजनाबद्ध कक्षा निचली चाल से गुजरा जिससे यह चंद्रमा के करीब पहुंच गया था.

पड़ाव दर पड़ाव कामयाबी

अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक एक योजनाबद्ध कक्षा कटौती प्रक्रिया से गुजरा. इंजनों की रेट्रोफिटिंग ने इसे चंद्रमा की सतह के करीब ला दिया जो अब 170 किमी x 4313 किमी है. कक्षा को और कम करने के लिए अगला ऑपरेशन 9 अगस्त को 13:00 से 14:00 बजे IST के बीच निर्धारित है. इसरो ने 7 अगस्त को ट्वीट के जरिए चंद्रयान-3 द्वारा ली गई चंद्रमा की पहली तस्वीर जारी की गई थी. 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें ली थीं.14 जुलाई को अंतरिक्ष यान को ले जाने वाले जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

23 अगस्त को होनी है सॉफ्ट लैंडिंग

23 अगस्त को निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग का उद्देश्य लैंडर और रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित करना है.  ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र नई वैज्ञानिक खोजों की क्षमता रखता है.  सफल होने पर भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा. लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने और 100 किमी x 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर लैंडर चंद्रमा की सतह तक नीचे जाने के लिए अपने थ्रस्टर्स का उपयोग करेगा. सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए इस नाजुक ऑपरेशन के लिए सटीक नियंत्रण और नेविगेशन की आवश्यकता होती है. चंद्रयान-3 का मिशन न सिर्फ अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन है बल्कि इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें करना भी है. 

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