मोदी सरकार ने 'आत्मनिर्भर कृषि-2025' (Self-reliant agriculture-2025) के राष्ट्रीय लक्ष्य तहत देश के किसानों को उद्यमी बनाने के साथ-साथ भारत को दुनिया के लिए 'फूड बास्केट'(Food basket) बनाने की परिकल्पना की है. सरकार ने 2022 तक कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना बढ़ाकर 60 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है
Trending Photos
नई दिल्ली: खाद्यान्नों के मामले में पहले से ही 'आत्मनिर्भर भारत (self dependent India) के सामाने अब अपनी आवश्यकता से अधिक कृषि पैदावार (Agricultural yield) का मूल्यवर्धन कर उसे दुनिया के बाजारों में बेचने की चुनौती है, जिससे देश के किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिल सके. इसलिए मोदी सरकार ने 'आत्मनिर्भर कृषि-2025' (Self-reliant agriculture-2025) के राष्ट्रीय लक्ष्य तहत देश के किसानों को उद्यमी बनाने के साथ-साथ भारत को दुनिया के लिए 'फूड बास्केट'(Food basket) बनाने की परिकल्पना की है. सरकार ने 2022 तक कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना बढ़ाकर 60 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है.
कोरोना काल (Corona era) में भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रमुखता देते हुए इस क्षेत्र में सुधार के लिए अध्यादेश लाकर नीतिगत बदलाव किए और 'आत्मनिर्भर कृषि-2025' के तहत चार राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से आत्मनिर्भर कृषि-2025 के लक्ष्य और इसे हासिल करने की पूरी योजना का खाका हाल ही में मुख्यमंत्रियों के साथ सम्मेलन में पेश किया गया.
ये भी पढ़ें- DNA ANALYSIS: दाऊद इब्राहिम का पाकिस्तानी CNIC डिकोड, इमरान खान से 5 सवाल
इसके तहत पहला लक्ष्य उच्च आय और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के साथ किसानों को उद्यमी बनाना और उनकी आमदनी दोगुनी करना है. दूसरा लक्ष्य, भारत को फूड बास्केट बनाना है और 2022 तक कृषि निर्यात 60 अरब डॉलर करने के लक्ष्य को हासिल करना है. हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वैश्विक जरूरतों के अनुरूप देश के कृषि क्षेत्र में बदलाव और मूल्य वृद्धि की आवश्यकता बताई.
मोदी ने लाल किला के प्राचीर से अपने संबोधन में कहा, ' एक समय था जब हम बाहर से गेहूं मंगवा करके अपना पेट भरते थे। लेकिन आज भारत उस स्थिति में है कि दुनिया में जिसको जरूरत है, उसको भी हम अन्न दे सकते हैं. अगर ये हमारी शक्ति है, आत्मनिर्भर की ये ताकत है, तो हमारे कृषि क्षेत्र में भी मूल्य वृद्धि आवश्यक है. वैश्विक आवश्यकताओं के अनुसार, हमारे कृषि जगत में बदलाव की आवश्यकता है. विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने कृषि जगत को भी आगे बढ़ाने की जरूरत है.'
कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर जब देशभर में पूर्ण बंदी थी उस समय भी कृषि और संबद्ध क्षेत्र में किसानों का सारा काम चल रहा था, क्योंकि सरकार ने फसलों की कटाई, बुवाई से लेकर खेती-किसानी के तमाम कार्यों को छूट दे रखी थी. दिलचस्प बात यह है कि कोरोना काल में भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात में पिछले साल से 23.24 फीसदी का इजाफा हुआ.
ये भी पढ़ें- राशिफल 26 अगस्त: इन राशिवालों के चमकेंगे सितारे, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
कृषि मंत्रालय ने हाल ही में निर्यात के आंकड़ों के साथ बताया कि मार्च -जून 2020 की अवधि में देश से 25552.7 करोड़ रुपये की कृषि वस्तुओं का निर्यात हुआ जो कि 2019 की इसी अवधि में हुए 20734.8 करोड़ रुपये के निर्यात की तुलना में 23.24 प्रतिशत अधिक है. कोरोना काल में किसानों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार ने एक के बाद एक कई फैसले लिए. इसी क्रम में कोल्ड स्टोरेज, भंडारण, कोल्ड चेन आदि की बुनियादी सुविधा विकसित करने के मकसद से सरकार ने एक लाख रुपये के कृषि इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड बनाया है. दरअसल, सरकार का मकसद कृषि और संबद्ध क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देना है.
आत्मनिर्भर कृषि के लक्ष्यों में तीसरा लक्ष्य कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करना है. इसके अलावा, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में रोजगार व उद्यमिता के अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि 100 करोड़ रुपये के निवेश पर तकरीबन 3,000 नौकरियां पैदा हों. (इनपुट आईएएनएस)