लद्दाख पर तनातनी के बीच चीनी सैनिकों के पीछे हटने में NSA ने निभाई बड़ी भूमिका!
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लद्दाख पर तनातनी के बीच चीनी सैनिकों के पीछे हटने में NSA ने निभाई बड़ी भूमिका!

भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले एक महीने से जारी गतिरोध के बीच अब ये खबरें आने लगी हैं कि चीनी सेना ढाई किमी तक पीछे हट गई है. 

लद्दाख पर तनातनी के बीच चीनी सैनिकों के पीछे हटने में NSA ने निभाई बड़ी भूमिका!

नई दिल्‍ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले एक महीने से जारी गतिरोध के बीच अब ये खबरें आने लगी हैं कि चीनी सेना पीछे हट गई है. इसके साथ ही सूत्रों के हवाले से ये भी कहा जा रहा है कि आज एक बार फिर दोनों पक्षों के बीच मेजर जनरल स्‍तर के कमांडरों की बैठक संभावित है. इस बीच सूत्रों का यह भी कहना है कि सीमा पर तनाव घटाने में राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्‍होंने चीनी प्रतिनिध से बातचीत की थी. उसके बाद तनाव घटना शुरू हुआ. 

भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के अपने संकल्प को प्रदर्शित करते हुए पूर्वी लद्दाख के कुछ गश्त बिंदुओं से “सांकेतिक वापसी” के तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुलाया है. वहीं, इस मुद्दे पर दोनों पक्ष बुधवार को एक और दौर की मेजर जनरल स्तर की वार्ता करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि गलवान घाटी, पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे इलाकों में दोनों सेनाओं का आक्रामक रुख बरकरार है और आने वाले कुछ दिनों में इस गतिरोध को खत्म करने का समाधान तलाशने के लिये बातचीत के कई दौर होंगे.

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सैन्य सूत्रों ने कहा कि चीनी और भारतीय सेनाओं ने गलवान घाटी के दो गश्त क्षेत्रों 14 और 15 तथा हॉट स्प्रिंग के एक गश्त क्षेत्र से अपने कुछ सैनिक वापस बुलाने शुरू किये हैं. चीनी पक्ष दोनों इलाकों में लगभग डेढ़ किलोमीटर तक पीछे हट गया है. हालांकि, सैनिकों की वापसी के संदर्भ में रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस मामले पर चीन की तरफ से भी कोई जानकारी नहीं दी गई है.

सूत्रों ने कहा कि चीनी और भारतीय दोनों सेनाएं इन तीन इलाकों से कुछ सैनिकों को वापसी बुला रही हैं और अस्थायी ढांचों को हटा रही हैं. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है.”

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मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दोनों पक्षों में छह जून को हुई उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के दौरान “सांकेतिक वापसी” के लिये सहमति बनी थी जिससे दोनों तरफ यह मामले के समाधान के लिये सकारात्मक संदेश जाए कि और इसे वास्तविक तरीके से सैनिकों की वापसी के तौर पर नहीं लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि गलवान घाटी इलाके में अब भी चीनी सैनिक बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिसको लेकर भारत ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि दोनों देश क्षेत्र में तनाव और कम करने के लिये बुधवार को मेजर जनरल स्तरीय बातचीत के अलावा छह जून को उच्च स्तरीय बैठक में बनी सहमति के मुताबिक वार्ता प्रक्रिया के तहत फील्ड कमांडरों के बीच भी बातचीत होगी.

भारतीय और चीनी सैनिकों में पैंगोंग सो इलाके में पांच मई को हिंसक झड़प हुई थी जिसके बाद से दोनों पक्ष वहां आमने-सामने थे और गतिरोध बरकरार था. यह 2017 के डोकलाम घटनाक्रम के बाद सबसे बड़ा सैन्य गतिरोध बन रहा था.

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