खैबर पख्तुनवा (Khaibar Pakhtunva) में एक और मंदिर पर हमले की आशंका जताई गई है. पाकिस्तान की हिंदू आबादी का एक बड़ा हिस्सा सिंध (Sindh) प्रांत में रहता है. वहां भी ईश निंदा कानून के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं. कई बार कट्टरपंथी कानून से पहले अपना फैसला सुना देते हैं.
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पेशावर: पाकिस्तान (Pakistan) में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय (Hindu Minority) की एक और धरोहर खतरे में हैं. मामला खैबर पख्तूनख्वा (Khaibar Pakhtunva) प्रांत से ही जुड़ा है. जहां हाल ही में ही एक प्राचीन हिंदू धर्म स्थल में तोड़फोड़ के साथ आगजनी हुई थी. तब सैकड़ों की तादात में उमड़ी इस्लामिक चरमपंथियों की उन्मादी भीड़ ने स्थानीय मौलाना के नेतृत्व में मंदिर की पहचान मिटाने की नापाक कोशिश की थी. ताजा मामले में पाकिस्तान की हिंदू कम्युनिटी के एक नेता ने एक और मंदिर को खतरा बताते हुए प्रांतीय सरकार से सुरक्षा की मांग की है.
Pakistan मीडिया से बातचीत के दौरान हिंदू नेता हारून सरब दयाल (Harun Sarab Dayal) ने कहा कि हवेलियन नगर में बने एक प्राचीन मंदिर को खतरा है. मंदिर परिषर में मौजूद एक पुराना ढांचा भी है जिसे भू-माफिया को खत्म करने के इरादे से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुनियोजित साजिश के तहत कुछ शरारती तत्व मंदिर पर हमला कर सकते है.
हारून सरब दयाल के मुताबिक यहां के मुट्ठी भर शरारती तत्व मंदिर की जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं ताकि वो देश में आराजकता फैला सकें. दयाल ने ये भी कहा, ' मुद्दा सिर्फ इसी मंदिर तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे पाकिस्तान में सैकड़ों अन्य मंदिरों, धर्म स्थलों, पाठशालाओं, अनाथ आश्रमों, श्मशान भूमि , सत्संग भवन, गुरुद्वारों और अन्य उपासना स्थलों की भी सुरक्षा करने तथा संरक्षण करने की जरूरत है.
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हिंदू नेता ने ये भी कहा, ‘हम सरकार से अल्पसंख्यकों के स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं ताकि टेरी जैसी घटना रोकी जा सके.’ गौरतलब है कि दिसबर में प्रांत के करक जिले में स्थित टेरी गांव में एक मंदिर पर भीड़ ने हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया था. पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों को अगवा करके जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में तेजी आई है. पाकिस्तान में हिंदू आबादी का अधिकारिक आंकड़ा तक सामने नहीं आने दिया जाता. हिंदुओं समेत बाकी अल्पसंख्यक आबादी पर भी यहां कट्टरपंथियों के हमले का खतरा मंडराता रहता है.
पाकिस्तान की हिंदू आबादी का एक बड़ा हिस्सा सिंध प्रांत में रहता है. वहां भी ईश निंदा कानून के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं. कई बार मामला अदालत तक पहुंचने से पहले स्थानीय कट्टरपंथी ही अपना फैसला सुना देते हैं. हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक आबादी को लेकर सही आंकड़े बताने में भी हीलाहवाली होती है. तटीय शहर कराची हो या पाकिस्तान को कोई भी सूबा ऐसी कोई जगह नहीं है जहां अल्पसंख्यक आबादी का उत्पीड़न न हुआ हो
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