26/11 Mumbai Terror Attack: क्राइम ब्रांच ने अबू जुंदल (Abu Jundal) से हिरासत में पूछताछ करने की इजाजत मांगी. एक स्पेशल कोर्ट ने यह अनुमति दे दी.
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Mumbai: एक स्पेशल ट्रायल कोर्ट ने सोमवार को पुलिस को 26/11 मुंबई आतंकी हमले (26/11 Mumbai Terror Attack) के आरोपी अबू जुंदल (Abu Jundal) से हिरासत में पूछताछ करने की अनुमति दे दी, ताकि फरार मुख्य आरोपी की पहचान करने में मदद मिल सके. जुंदल इस मामले में एकमात्र आरोपी है, जिस पर मुकदमा चल रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने जुंदल से पहचान के संबंध में प्राप्त ताजा सूचना के बारे में पूछताछ करने की अनुमति मांगी थी. जुंदल 2012 में गिरफ्तारी के बाद से ही इस मामले में हिरासत में है.
स्पेशल जज ने क्या कहा?
स्पेशल जज आरएन रोकड़े ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष ने आरोपी सैय्यद जबीउद्दीन सैय्यद जकीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल से पूछताछ की अनुमति के लिए आवेदन दायर किया है... आवेदन स्वीकार किया जाता है.’
जज ने कहा कि तलोजा सेंट्रल जेल के अधीक्षक को अधिकारियों को जुंदल से जानकारी साझा करने और जेल अधिकारियों की मौजूदगी में बयान दर्ज करने की अनुमति देनी चाहिए. जज ने मंगलवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक की अनुमति दी.
जज ने कहा कि अधिकारियों को जेल में लैपटॉप, डिजिटल डिवाइस और अन्य जरूरी स्टेशनरी ले जाने की अनुमति है और अधिकारियों को इसकी व्यवस्था करनी होगी.
2016 में, एक विशेष ट्रायल कोर्ट ने जुंदल सहित 12 लोगों को दोषी ठहराया और औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जुंदल पर हमलों में शामिल 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों का संचालक होने का संदेह है.
जब 10 आतंकियों ने किया मुंबई पर हमला
2008 मुंबई हमले (जिन्हें 26/11 हमले भी कहा जाता है) नवंबर 2008 में हुए आतंकवादी हमलों की एक सीरीज थी. पाकिस्तान के एक उग्रवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 सदस्यों ने मुंबई में चार दिनों अलग-अलग जगहों पर गोलीबारी और बमबारी की.
बुधवार 26 नवंबर को शुरू हुआ हिंसा का दौर और शनिवार 29 नवंबर 2008 तक चला. कुल 175 लोग मारे गए, जिनमें नौ हमलावर शामिल थे, और 300 से अधिक घायल हुए. अजमल कसाब इकलौता हमलावर जिसे सुरक्षाबलों ने जिंदा पकड़ा था. कसाब पर मुकदमा चला और उसे फांसी की सजा सुनाई गई.
कसाब को 21 नवंबर 2012 को स्थानीय समयानुसार सुबह 7:30 बजे फांसी पर लटका दिया गयाऔर बाद में पुणे के यरवदा सेंट्रल जेल के परिसर में दफना दिया गया.