गणेश चतुर्थी : इस विधि से करें पूजन और विघ्नहर्ता देव को करें प्रसन्न
Advertisement
trendingNow1302115

गणेश चतुर्थी : इस विधि से करें पूजन और विघ्नहर्ता देव को करें प्रसन्न

सोमवार से 10 दिवसीय गणपित उत्सव की शुरुआत हो रही है। गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणपति की प्रतिमा को घर लाकर हम पूजा की शुरुआत करते हैं। आज के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को घर लाना सबसे पवित्र समझा जाता है। जब आप बप्‍पा की मूर्ति को घर लाएं, उससे पहले इन चीजों को तैयार रखें। अगरबत्‍ती और धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्‍ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन।

गणेश चतुर्थी : इस विधि से करें पूजन और विघ्नहर्ता देव को करें प्रसन्न

नई दिल्ली : सोमवार से 10 दिवसीय गणपित उत्सव की शुरुआत हो रही है। गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणपति की प्रतिमा को घर लाकर हम पूजा की शुरुआत करते हैं। आज के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को घर लाना सबसे पवित्र समझा जाता है। जब आप बप्‍पा की मूर्ति को घर लाएं, उससे पहले इन चीजों को तैयार रखें। अगरबत्‍ती और धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्‍ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन।

गणपति मूर्ति की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक आरती की थाली में अगरबत्‍ती-धूप को जलाएं। इसके बाद पान के पत्‍ते और सुपारी को भी इसमें रखें। इस दौरान मंत्र ' ऊं गं गणपतये नम:' का जाप करें। यदि कोई पुजारी इसे अंजाम दे रहे हों तो दक्षिणा भी अर्पित करें। जो श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति को चतुर्थी से पहले अपने घर ला रहे हैं, उन्‍हें मूर्ति को एक कपड़े से ढककर लाना चाहिए और पूजा के दिन मूर्ति स्‍थापना के समय ही इसे हटाना चाहिए। घर में मूर्ति के प्रवेश से पहले इस पर अक्षत जरूर डालना चाहिए। स्‍थापना के समय भी अक्षत को आसन के निकट डालना चाहिए। साथ ही, वहां सुपारी, हल्‍दी, कुमकुम और दक्षिणा भी वहां रखना चाहिए।

पूजा के लिए जरूरी सामग्री - गणपति की मूर्ति को घर में स्‍थापित करने के समय सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं। जैसे लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्‍ती।

गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें। आज के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है। गणपति का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके करें।

पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे।

संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। अंत में गणेश मंत्र ' ऊं गणेशाय नम:' अथवा 'ऊं गं गणपतये नम: का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।

आज के दिन किया जाने वाला विशेष काम - भगवान गणेश अपने भक्तों के समस्त विघ्नों को दूर करने के लिए विघ्नों के मार्ग में विकट स्वरूप धारण करके खड़े हो जाते हैं। अपने घर, दुकान, फैक्टरी आदि के मुख्य द्वार के ऊपर तथा ठीक उसकी पीठ पर अंदर की ओर गणेश जी का स्वरूप अथवा चि‍‍त्रपट जरूर लगाएं। ऐसा करने से गणेश जी कभी भी आपके घर, दुकान अथवा फैक्टरी की दहलीज पार नहीं करेंगे तथा सदैव सुख-समृद्धि बनी रहेगी। कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।  

अपने दोनों हाथ जोड़कर स्थापना स्थल के समीप बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोजाना करेंगे तो शुभ फल मिलेगा। सच्‍चे मन और शुद्ध भाव से गणपति की पूजा करने से बुद्धि, स्‍वास्‍थ्‍य और संपत्ति मिलती है।

Trending news