भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित एक खिलाड़ी को अपने अधिकारों के लिए धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा. पीएम नरेंद्र मोदी ने उस पहलवान को इंसाफ दिलवाने का आश्वासन दिया है.
Trending Photos
दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित एक खिलाड़ी को अपने अधिकारों के लिए धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा. गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह (Virendra Singh) मूक-बधिर खिलाड़ियों को पैरा ओलंपियन के समान अधिकार देने की मांग को लेकर दिल्ली के हरियाणा भवन के सामने सभी मेडल लेकर प्रदर्शन पर बैठे थे.
पद्म श्री (Padma Shri) पुरस्कार मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीरेंद्र सिंह और उनके भाई रामबीर सिंह से इस मुद्दे पर बातचीत भी की. रामबीर सिंह ने कहा, 'प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम किसी भी खिलाड़ी के साथ कुछ गलत नही होने देंगे और साथ ही में वो हरियाणा सरकार से इस विषय पर बातचीत करेंगे.'
डेफलंपिक्स में 74 किग्रा वर्ग में तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत चुके वीरेंद्र सिंह (Virendra Singh) ने ट्विटर पर लिखा, 'मुख्यमंत्री जी अगर आप मुझे पैरा एथलीट मानते हैं तो आप पैरा एथलीट वाले सारे अधिकार मुझे क्यों नहीं देते. मैं पिछले चार वर्षों से मैं दर दर की ठोकर खा रहा हूं और आज भी जूनियर कोच हूं. मुझे कोई नकद पुरस्कार नहीं मिला है. कल मैंने इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी से भी बात की थी, अब फैसला आपके हाथ में है.'
वीरेंद्र सिंह के भाई रामबीर सिंह ने कहा, 'पैरा-एथलीटों की तरह बधिर खिलाड़ियों के लिए समान अधिकारों और सरकारी नौकरी के लिए हम वर्षों से हरियाणा के मंत्रियों के पास जा रहे हैं. 2017 में, राज्य सरकार ने वीरेंद्र के लिए 6 करोड़ रुपये की राशि की घोषणा की, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुई है. ग्रेड ए की नौकरी की घोषणा की गई थी लेकिन वो भी अभी तक नहीं दी गई है. वीरेंद्र के पास ग्रेड सी की नौकरी है.' पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद वीरेंद्र सिंह और रामबीर सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस विषय पर बातचीत हुई थी.
दरअसल हरियाणा सरकार की पॉलिसी के अनुसार, ओलंपिक और पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर 6 करोड़ कैश देने का प्रावधान है. डेफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ बीस लाख का कैश अवार्ड है. इसी पॉलिसी के तहत वीरेंद्र सिंह (Virendra Singh) को 2017 में गोल्ड मेडल जीतने पर 2018 में एक करोड़ 20 लाख रुपए दिए गए. पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर या डेफ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर क्लास बी में नौकरी का प्रावधान है. नौकरी में दोनों को लेकर एक ही प्रावधान है. जबकि पैरा ओलंपिक में 6 करोड़ और डेफ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने पर एक करोड़ 20 लाख का प्रावधान है. इसी बात को लेकर वीरेंद्र सिंह प्रदर्शन पर बैठे थे.
ये भी पढ़ें- Deaf & Mute World Wrestling में हिस्सा लेने Istanbul नहीं पहुंच सकी भारतीय टीम, जानिए वजह
हरियाणा Haryana के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी वीरेंद्र सिंह (Virendra Singh) से मुलाकात की और उन्हें पद्म श्री पुरस्कार मिलने पर बधाई देने के साथ साथ जल्द ही इस विषय पर एक कमेटी गठित करने का भरोसा भी दिया. जिसके बाद वीरेंद्र सिंह ने अपना प्रदर्शन फिलहाल वापिस ले लिया.
LIVE TV