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DNA with Sudhir Chaudhary: 90 के दशक में यासीन मलिक की हमारे देश में जय-जयकार होती थी. इसे एक प्रतिभाशाली नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाता था. देश के प्रधानमंत्री और दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं से इसकी मुलाकातें होती थीं और हमारे देश में यासीन मलिक को कश्मीरियों की आवाज माना जाता था. हमारे देश के नेताओं ने, मीडिया ने और बुद्धिजीवियों ने इस आतंकवादी के बारे में दशकों तक भ्रम फैलाया और वो इस आतंकवादी को शांति का पुजारी बताते रहे. लेकिन अब जाकर इसकी सच्चाई सामने आई है और इस मामले में न्याय हुआ है.
NIA कोर्ट ने यासीन मलिक को जिस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है, आज आपको उस केस के बारे में भी जान लेना चाहिए. ये पूरा मामला टेरर फंडिंग का है. टेरर फंडिंग का मतलब होता है, आतंकवादियों को पैसे और हथियार की मदद पहुंचाना और इसके लिए अलग-अलग देशों से फंडिंग इकट्ठा करना. 2016 में जब आतंकवादी बुरहान वानी कश्मीर में एक एनकाउंटर के दौरान मारा गया था, तब कश्मीर में अचानक से तनाव काफी बढ़ गया था. उस समय कश्मीर में हर दिन पत्थरबाजी की घटनाएं होती थीं और बड़े पैमाने पर आतंकवादी कश्मीर में हमले कर रहे थे. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जब सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू की तो पता चला कि कश्मीर की अलगाववादी ताकतें टेरर फंडिंग की मदद से आतंकवादियों की मदद कर रही हैं और ये फंडिंग कश्मीर की आजादी के नाम पर जुटाई जा रही है.
उस समय इस मामले में यासीन मलिक समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिनमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के बड़े-बड़े नेता भी शामिल थे. इसके अलावा तब इस मामले में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का भी नाम सामने आया था. NIA के मुताबिक, 2017 में यासीन मलिक ने कश्मीर को आजाद कराने के लिए लश्कर और जैश जैसे आतंकवादी संगठनों से हाथ मिला लिया था और इसी के बाद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और यासीन मलिक को अलग-अलग देशों और इन आतंकवादी संगठनों के जरिए फंडिंग की गई और ये पैसा हवाला के जरिए इन तक पहुंचा. इसके बाद ये पैसा कश्मीर में तीन तरह से इस्तेमाल हुआ. पहला, इससे कश्मीर में छिपे आतंकवादियों की मदद की गई. दूसरा, ये पैसा पत्थरबाजों को दिया गया, ताकि वो कश्मीर में तनाव को जारी रख सकें और तीसरा, ये पैसा उन Over Ground Workers को तैयार करने पर खर्च हुआ, जो स्थानीय स्तर पर आतंकवादियों की मदद करते हैं.
यानी टेरर फंडिंग का ये पूरा खेल कश्मीर को अस्थिर करने के लिए था. जिसमें पत्थरबाजों की टीम के कैप्टन यासीन मलिक थे और इसे आप इन तस्वीरों से भी समझ सकते हैं. आज जैसे ही ये खबर आई कि यासीन मलिक को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है तो श्रीनगर में पत्थरबाजी शुरू हो गई. इस मामले में अदालत ने जो फैसला दिया है, उसकी कॉपी मैं अपने साथ लाया हूं. इसमें बताया गया है कि यासीन मलिक ने अदालत को कहा था कि उसने वर्ष 1994 में हिंसा का रास्ता छोड़ कर राजनीति को अपना लिया था और वो महात्मा गांधी के अहिंसक विचारों पर चलने लगा था. सोचिए ये कितना बड़ा मजाक है कि यासीन मलिक जैसा आतंकवादी खुद को अदालत में महात्मा गांधी का अनुयायी बताता है.
आपने कश्मीर फाइल्स फिल्म जरूर देखी होगी. इस फिल्म में भी एक ऐसे आतंकवादी का जिक्र किया गया, जो खुद को नए दौर का गांधी बताता है और दुनिया को भ्रमित करता है. यासीन मलिक को मिली इस सजा की वजह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, वहां की सेना और शाहीद अफरीदी जैसे लोग बहुत दुखी हैं और लगातार उसके समर्थन में बयान दे रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने एक ट्वीट में इस फैसले को भारत के लोकतंत्र और उसकी न्याय प्रणाली के लिए काला दिन बताया है. उन्होंने ये भी लिखा कि भारत यासीन मलिक को शारीरिक रूप से तो जेल में कैद कर सकता है लेकिन वो कभी भी आजादी के उस विचार को कैद नहीं कर सकता, जो यासीन मलिक ने देखा है.
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहीद अफरीदी ने भी यासीन मलिक की उम्रकैद का विरोध किया है और कहा है कि यासीन मलिक को झूठे केस में सजा सुनाई गई है. लेकिन ऐसा करके भारत कश्मीर की आजादी के संघर्ष को रोक नहीं सकता. शाहिद अफरीदी ने संयुक्त राष्ट्र को भी इस मामले में संज्ञान लेने के लिए आग्रह किया है. इस फैसले से पाकिस्तान को इसलिए इतनी तकलीफ हो रही है, क्योंकि यासीन मलिक ने जम्मू कश्मीर में अब तक वही किया, जो पाकिस्तान चाहता था. यासीन मलिक अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चीफ रह चुका है, जिस पर केंद्र सरकार ने 2019 में प्रतिबंध लगा दिया था. इसके अलावा 1990 के दशक में जब कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को मार कर भगाया जा रहा था, उस समय यासीन मलिक Youth Icon हुआ करता था. आज हमने यासीन मलिक से जुड़ी कुछ पुरानी तस्वीरें निकाली हैं, जो उसका असली चरित्र आपको बताएंगी.
वर्ष 2005 में जब यासीन मलिक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर गया था, तब वहां के लोगों और आतंकवादी संगठनों ने उसका जबरदस्त स्वागत किया था. उस समय यासीन मलिक को वहां के लोगों ने अपने कंधों पर उठा लिया था. ये उस समय की बात है, जब देश में UPA की सरकार थी और प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह थे. इसके अलावा उस समय 18 फरवरी 2006 को डॉ. मनमोहन सिंह ने यासीन मलिक को दिल्ली में अपने प्रधानमंत्री आवास पर भी मिलने के लिए बुलाया था. और इस मुलाकात के दौरान वो यासीन मलिक से गर्मजोशी से मिले थे.
हालांकि, शहीद रवि खन्ना की पत्नी यासीन मलिक को हुई इस सजा से खुश नहीं है. उन्होंने कहा है कि यासीन मलिक को इस मामले में मौत की सजा होनी चाहिए थी. क्योंकि वर्ष 1990 में Squadron Leader रवि खन्ना समेत भारतीय वायु सेना के चार जवानों की हत्या कर दी गई थी और ये हत्या यासीन मलिक ने ही करवाई थी.
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#DNA : यासीन मलिक की सज़ा से पाकिस्तान दुखी@sudhirchaudhary
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— Zee News (@ZeeNews) May 25, 2022