Trending Photos
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय से संबंधित एक संसदीय समिति (Parliamentary committee) ने प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति को टेक्स्टबुक का हिस्सा बनाये जाने की सिफारिश की है. इसी समिति ने ये भी कहा है कि पाठ्यपुस्तकों में सिख और मराठा स्वतंत्रता सेनानियों का चित्रण निष्पक्षता से हो और महिलाओं की भूमिका को भी शामिल किया जाए.
समिति ने कहा है कि कई ऐतिहासिक शख्सियतों और स्वतंत्रता सेनानियों को गलत तरीके से 'अपराधियों' के रूप में चित्रित किया गया है. समित ने सिफारिश की है कि इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में उन्हें उचित सम्मान देने के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के गलत चित्रण को ठीक किया जाना चाहिए.
ये भी पढ़ें- सिर्फ 1 रुपये में घर देगी सरकार, इन लोगों को फायदा; जानें क्या आप भी हैं इसके हकदार
समिति का मानना है कि आधुनिक इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले कई स्वतंत्रता सेनानियों को उचित जगह नहीं दी गई है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए समिति कहा गया है कि आजादी दिलाने की लड़ाई में शामिल ऐसे लोगों का जिक्र भी किया जाना चाहिए जो अभी तक अछूते रह गए हैं. इसलिए ऐसे सेनानियों की भूमिका और उनके योगदान की बेहतर ढंग से समीक्षा भी की जानी चाहिए.
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद विनय सहस्रबुद्धे इस संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं जिनकी अगुवाई में स्कूल की किताबों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जिक्र की समीक्षा किए जाने की जरूरत बताई गई है. ये कमेटी एजुकेशन, वूमेन, चिल्ड्रेन, यूथ एंड स्पोर्ट्स से संबंधित मामलों को देखती है.