इस विशालकाय प्रतिमा को हाथीभाटा आश्रम से शहर में लाने के लिए चार क्रेन और 40 लोग लगाने पड़े.
यात्रा रविवार दोपहर महंत बाबूगिरी के सानिध्य में रवाना हुई. इसे विशेष रूप से बनवाए गए 28 चक्कों वाले ट्राले में चार क्रेन और 40 लोगों की मदद से रखा गया.
ट्राला आश्रम से रवाना हुआ तो शहर जय हनुमान के नारों से गूंज उठा. संकट मोचन मंदिर तक करीब 12 किलोमीटर की दूरी इसने करीब डेढ़ घंटे में तय की.
मंगलपुरा के पास हाथीभाटा आश्रम से प्रतिमा को शहर में लाना आसान नहीं था. संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबूगिरी महाराज ने बताया कि 64 टन वजनी हनुमान जी की प्रतिमा को 2100 किमी की यात्रा तय करने में करीब एक माह का वक्त लगेगा.
यात्रा के दौरान महंत बाबू गिरी और एक दर्जन से अधिक भक्त गाड़ियों में प्रतिमा के साथ-साथ चलेंगे.
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