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Malana Village में आज भी बसे हुए हैं यूनानी सम्राट सिकंदर के सैनिकों के वंशज? बोलते हैं अजीबोगरीब भाषा

यह दुनिया एक से बढ़कर एक रहस्य से भरी हुई है. कई रहस्य दुनिया में ऐसे भी हैं, जिनका आज तक कोई राज नहीं जान पाया है. 

4 घंटे की पैदल चढ़ाई करके पहुंचते हैं मलाणा गांव

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4 घंटे की पैदल चढ़ाई करके पहुंचते हैं मलाणा गांव

कुल्लू जिले में करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा मलाणा गांव (Malana Village) चारों ओर गहरी खाइयों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है. इस गांव की आबादी करीब 1700 है. यह सैलानियों के बीच बहुत प्रसिद्ध है. दुनिया भर से सैकड़ों पर्यटक हर साल यहां पर घूमने आते हैं. यहां पर सबसे नजदीकी सड़क पार्वती घाटी की तलहटी में बसे जरी गांव तक है. वहां से पैदल चढ़ाई करके 4 घंटे में मलाणा तक पहुंचा जा सकता है.

खुद को सिकंदर के सैनिकों के वंशज बताते हैं ग्रामीण

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खुद को सिकंदर के सैनिकों के वंशज बताते हैं ग्रामीण

इस गांव के लोगों के नैन-नक्श इलाके के दूसरे गांवों से अलग है. वे खुद को मशहूर यूनानी राजा सिकंदर के सैनिकों का वंशज बताते हैं. कहते हैं कि जब सिकंदर ने हिंदुस्तान पर हमला किया था तो उसके लिए कुछ सैनिकों ने मलाणा इलाके (Malana Village) में ही पनाह ली थी. हमले में असफल होने पर सिकंदर (Alexander) तो वापस लौट गया लेकिन उसके कई सैनिक इसी मनमोहक इलाके में हमेशा के लिए रुक गए और वहीं पर अपना गांव बसा लिया. 

गांव के लोग बोलते हैं रहस्यमयी कनाशी भाषा

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गांव के लोग बोलते हैं रहस्यमयी कनाशी भाषा

गांव के लोग वाकई सिकंदर के सैनिकों के वंशज हैं, यह बात अभी पूरी तरह साबित नहीं हो पाई है. हालांकि गांव में सिकंदर के समय की कई चीजें जरूर मिली हैं. वहां के मंदिर में सिकंदर (Alexander) के जमाने की एक तलवार भी रखी हुई है. यहां के लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं. यह भाषा मलाणा गांव (Malana Village) के अलावा दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती. इस भाषा को बाहरी लोगों को सिखाना प्रतिबंधित है. गांव के लोग इस भाषा को पवित्र जुबान मानते हैं. 

 

रात होने से पहले टूरिस्टों को छोड़ना पड़ता है गांव

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रात होने से पहले टूरिस्टों को छोड़ना पड़ता है गांव

इस गांव में बाहरी लोगों को केवल दिन में ही आने की इजाजत है. रात होने से पहले उन्हें हर हाल में गांव छोड़ना पड़ता है. इसका कारण ये है कि गांव के सारे गेस्ट हाउस शाम होने से पहले ही बंद हो जाते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि जमलू देवता ने उन्हें किसी बाहरी व्यक्ति को रात में गांव में न रुकने का आदेश दे रखा है. इसी आदेश के तहत गांव के गेस्ट हाउस शाम को बंद करके पर्यटकों को गांव से निकाल दिया जाता है. 

गांव में ही करते हैं लड़के-लड़कियों की शादियां

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गांव में ही करते हैं लड़के-लड़कियों की शादियां

गांव (Malana Village) के बुजुर्ग किसी बाहरी से हाथ मिलाने और उसे छूने से परहेज करते हैं. अगर आप गांव की किसी दुकान से सामान खरीदें तो वह उसे सीधे आपके हाथ में नहीं देगा बल्कि वह उस सामान को एक किनारे पर रख देगा और वहीं पर आपको पैसे रखने को कहेगा. गांव के लोग अपने लड़के-लड़कियों की सभी शादियां गांव में ही करते हैं. अगर कोई शख्स गांव से बाहर शादी कर लेता है तो उसे समाज से बेदखल कर दिया जाता है. गांव के लोगों का कहना है कि वे नहीं चाहते कि कोई बाहरी व्यक्ति शादी के बाद गांव में आकर उनके समाज का हिस्सा बने. 

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