केन्द्र सरकार ने टीकाकरण अभियान से जुड़ी Operational Guidelines जारी की हैं. 113 पेज की इन Guidelines के मुताबिक़ टीकाकरण अभियान की प्रक्रिया चुनावों के जैसी ही होगी.
फाइज़र कम्पनी ने भारत में भी कोरोना वैक्सीन के लिए Emergency Use की मंज़ूरी मांगी है और सम्भव है कि अगले कुछ दिनों में इस पर फ़ैसला ले लिया जाए. अब तक ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, बहरीन, मेक्सिको, इज़रायल और सऊदी अरब जैसे देश इस वैक्सीन को मंजूरी दे चुके हैं और जल्द भारत भी वैक्सीन को मंज़ूरी देने वाले इस क्लब में शामिल हो जाएगा. हालांकि भारत समेत पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों के बीच कड़ी प्रतियोगिता चल रही है. अब आपको बताते हैं कि अगर आप भारत में किसी Vaccination Centre पर जाकर ये Vaccine लगवाएंगे तो वहां आपका दिन कैसे बीतेगा.
फिलहाल भारत में इस रेस में 4 कंपनियां शामिल हैं. इनमें फाइजर और BioNtech की वैक्सीन सबसे ऊपर है. Oxford Astrazeneca की वैक्सीन भी इसमें शामिल है और भारत का Serum Institute of India बड़े पैमाने पर इसका निर्माण कर रहा है. हैदराबाद की Bharat Biotech कम्पनी की स्वदेशी वैक्सीन भी इस रेस में है. इस वैक्सीन के Emergency Use की भी मंज़ूरी मांगी गई है और आख़िर में Russia की Sputnik V वैक्सीन है जिसके बारे में आज ही ये दावा किया गया है कि ये वैक्सीन लोगों को दो वर्षों तक वायरस से बचा पाएगी.
केन्द्र सरकार ने टीकाकरण अभियान से जुड़ी Operational Guidelines जारी की हैं. 113 पेज की इन Guidelines के मुताबिक़ टीकाकरण अभियान की प्रक्रिया चुनावों के जैसी ही होगी. यानी जैसे आप वोट डालने के लिए अपने घर से बूथ तक जाते हैं, ठीक वैसे ही वैक्सीन लगवाने के लिए आपको बूथ तक जाना होगा.
एक बूथ पर एक दिन में 100 से ज़्यादा लोगों को Vaccine नहीं लगाई जाएगी. वैक्सीन लगाने के लिए लोक सभा और विधान सभा चुनाव के आंकड़ों के आधार पर 50 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों की पहचान की जाएगी.
इन लोगों को टीके से जुड़ी जानकारी देने के लिए CO-WIN नाम का एक Digital Platform भी बनाया जा रहा है. जिसके ज़रिए लोगों को ये बताया जाएगा कि उन्हें वैक्सीन कब लगेगी, कहां लगेगी और उनका बूथ कौन सा होगा और जिन लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी, उनकी जानकारी भी इस Digital Platform पर मिल सकेगी.
यानी वैक्सीन लगवाने के लिए आपको तभी बूथ पर जाना होगा, जब आपको जानकारी दी जाएगी. On The Spot रजिस्ट्रेशन करवा कर आप वैक्सीन नहीं लगवा पाएंगे. टीकाकरण लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएंगी और हर टीम में 5 सदस्य होंगे. पहला सदस्य, डॉक्टर, नर्स या Pharmacist में से कोई भी हो सकता है. पहला सदस्य ही आपको वैक्सीन लगाएगा.
दूसरा सदस्य, पुलिस, होमगार्ड, सिविल डिफेंस या NCC से होगा, जिसका काम ये सुनिश्चित करना होगा कि प्राथमिकता के आधार पर चुने गए व्यक्ति को ही टीका लगे.
तीसरा सदस्य कोरोना का टीका लगवाने आए व्यक्ति के पहचान पत्र, आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेजों की जांच करेगा. टीम का चौथा और पांचवां सदस्य भीड़ को नियंत्रित करने के साथ Support Staff के तौर पर काम करेगा.
आने वाले कुछ दिनों में भारत में कोरोना का टीका लगना शुरू हो जाएगा. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में पहली वैक्सीन वर्ष 1802 में तीन साल की एक बच्ची को लगाई गई थी. ये Smallpox यानी चेचक की वैक्सीन थी और इस बच्ची का नाम Anna Dusthall (ऐना डस्टहॉल) था. लेकिन भारत में तब टीकाकरण अभियान चलाना आसान बिल्कुल नहीं था. जिसके लिए रानी देवजमनी की मदद ली गई थी. रानी देवजमनी दक्षिण भारत के एक राज्य के शासक कृष्णराज वाडियार तृतीय की पत्नी थीं. वर्ष 1805 में बनाई गई एक पेंटिंग में रानी देवजमनी का हाथ उनकी साड़ी के पल्लू पर था. ऐसा करके वो ये बताना चाह रही थीं कि उन्हें Smallpox की वैक्सीन कहां लगी थी. बाईं ओर खड़ी महिला राजा की पहली पत्नी थीं और उनके चेहरे पर कुछ सफेद निशान आप देख सकते हैं, और माना जाता है कि उन्हें भी चेचक हो गया था. यानी भारत की पहली वैक्सीन का प्रचार करने के उस ज़माने में बहुत Creative तरीके अपनाए गए थे.
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